नई दिल्ली
पाकिस्तान की टीम अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में अपना पहला मैच अफगानिस्तान से खेलेगी। इस मैच के साथ ही पाकिस्तान के ओपनर मोहम्मद जैद वह सपना पूरा होता देख सकेंगे, जो उन्होंने लाहौर में चाय बेचते हुए देखा था। यह सपना था वर्ल्ड कप में खेलने का। जैद के पिता आलम खान लाहौर में चाय की दुकान चलाते हैं। जैद भी पहले दुकान में पिता का हाथ बंटाते थे। पाकिस्तान की टीम जब भी कोई मैच खेलती तो आलम रेडियो पर कमेंट्री सुना करते थे। इसी से जैद को क्रिकेट से लगाव हो गया। फिर वे टेप बॉल क्रिकेट खेलने लगे। जिस तरह भारत में टेनिस बॉल क्रिकेट लोकप्रिय है। उसी तरह पाकिस्तान में टेप बॉल क्रिकेट का चलन है।
जैद को सीखने के लिए कोई अच्छा कोच नहीं था। वे यूट्यूब पर एबी डिविलियर्स और रोहित शर्मा के शॉट देखते और घर में आइना के सामने शैडो प्रैक्टिस करते। फिर इन्हीं शॉट को मैच में आजमाते। जल्दी ही वे अपनी टीम के सबसे विश्वसनीय बल्लेबाज बन गए। जब यह बात आलम खान को पता चली तो उन्होंने जैद का दाखिला लाहौर के एक क्रिकेट क्लब में करा दिया। मोहम्मद अकबर बट्ट यहां के कोच थे और उन्होंने कई महीनों तक जैद से फीस भी नहीं ली। उन्होंने क्लब की ओर से जैद को किट भी मुहैया कराया। यहां से उनका कैरिअर तेजी से परवान चढ़ा और वे पहले लाहौर की, फिर पंजाब और आगे चल कर पाकिस्तान की जूनियर टीम में चुन लिए गए। जैद का परिवार 15 सदस्यों वाला है। माता-पिता और 13 भाई बहन हैं और उनका एक जुड़वा भाई भी है। जैद एक सफल क्रिकेटर बनकर अपने परिवार को मुफलिसी से बाहर निकालना चाहते हैं। यह टूर्नामेंट इस दिशा में पहला कदम है। जैद अच्छे शॉट जमाने के साथ-साथ अच्छी इंग्लिश बोलना सीखना चाहते हैं। वे कहते हैं, मुझे सीखने का शौक है। चाहे शॉट हो या इंग्लिश। गलतियां करूंगा तभी तो सीखूंगा। लेकिन, एक दिन सीखूंगा जरूर।