कब और कैसे होगी जनगणना?
जातिगत जनगणना मार्च 2027 में पूरे देश में होगी। पहाड़ी राज्यों में यह काम अक्टूबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा।
जनगणना के दौरान उस समय के आंकड़े ही आधिकारिक रूप से दर्ज किए जाएंगे।
जनगणना की प्रक्रिया: क्या होता है इसके बाद?
जनगणना अधिसूचना जारी होने के बाद सरकार तीन चरणों में काम करती है।
- जनगणना की तैयारी
- जनगणना का फील्ड वर्क
- आंकड़ों का विश्लेषण और रिपोर्ट बनाना
जनगणना में आपसे कौन से सवाल पूछे जाएंगे?
जनगणना के दौरान अफसर आपसे कई अहम सवाल पूछते हैं, जैसे:
- आपके घर में कितने लोग रहते हैं?
- घर में पुरुष और महिलाओं की संख्या कितनी है?
- आपकी उम्र क्या है?
- आपकी शिक्षा क्या है?
- आप किस धर्म के हैं?
- आप किस जाति से हैं? (इस बार नया सवाल)
- आपके घर की आर्थिक स्थिति कैसी है?
जनगणना के ये सवाल न सिर्फ आबादी गिनने में मदद करते हैं, बल्कि देश की विकास नीतियों के लिए भी बेहद जरूरी होते हैं।

क्या है जातिगत जनगणना का इतिहास?
भारत में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी।
1931 तक हर जनगणना में जातिवार आंकड़े इकट्ठा किए जाते थे।
1941 की जनगणना में भी जाति की जानकारी ली गई थी, लेकिन डेटा जारी नहीं किया गया।
आजादी के बाद से अब तक सिर्फ SC (अनुसूचित जाति) और ST (अनुसूचित जनजाति) की जनगणना होती रही।
1931 के बाद OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) की जनसंख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं बना।

जातिगत जनगणना क्यों जरूरी मानी जा रही है?
- OBC आरक्षण का आधार आज भी 1931 की जनगणना है, जो अब काफी पुराना हो चुका है।
- सही जनसंख्या पता चलने से OBC वर्ग के लिए योजनाएं और आरक्षण की सही नीति बन सकेगी।
- इससे पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की शिक्षा, रोजगार और आर्थिक स्थिति बेहतर करने में मदद मिलेगी।
जातिगत जनगणना का समर्थन और विरोध
समर्थन करने वालों का कहना है:
- इससे सभी जातियों की सही संख्या सामने आएगी।
- पिछड़े वर्ग के लोगों की सही स्थिति समझकर उनके लिए उचित योजनाएं बनाई जा सकेंगी।
जनगणना 2027 कई मायनों में खास होने वाली है। इस बार सिर्फ जनसंख्या नहीं, बल्कि जाति से जुड़ी अहम जानकारियां भी इकट्ठा की जाएंगी। इससे देश की सामाजिक तस्वीर और सरकारी नीतियों में बड़ा बदलाव आ सकता है।