निजीकरण के रास्ते पर निकल चुकी राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया ने जानकारी दी है कि 31 जनवरी 2018 तक वीवीआईपी चार्टर फ्लाइट्स का 325।81 करोड़ रुपये पेंडिंग है। विभिन्न मंत्रालयों द्वारा वीवीआईपी दौरों का बिल नहीं चुकाया है। कमोडोर (रिटायर्ड) लोकेश बत्रा की ओर से दाखिल आरटीआई आवेदन के जवाब में कहा गया है कि कुल बकाया राशि में से 84.01 करोड़ पिछले वित्त वर्ष का है,
जबकि 241।80 करोड़ रुपये का बिल मौजूदा वित्त वर्ष है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के विदेशी यात्राओं के लिए वीवीआईपी चार्टर्ड एयरक्राफ्ट्स एयर इंडिया के द्वारा उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए कमर्शल जेट्स को स्वीट में बदला जाता है।
इन एयरक्राफ्ट के लिए बिल रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और कैबिनेट सचिवालय के कोष से चुकाया जाता है। एयर इंडिया की ओर से बताया गया है कि सर्वाधिक 178.55 करोड़ रुपये विदेश मंत्रालय पर बकाया है। इसके बाद कैबिनेट सचिवालय-पीएमओ पर (128.84 करोड़) और रक्षा मंत्रालय (18.42 करोड़) का नाम है।