सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन करने वाली याचिका की सुनवाई करने से इंकार कर दिया है। इस याचिका में महिला याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि दोनों पक्षों की सहमति विवाह के लिए अनिवार्य की जाए। उसके बाद ही हिंदू विवाह अधिनियम में विवाह को वैध माना जाए।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ तथा न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अधिनियम में पहले से ही उल्लेख है यदि दोनों पक्षों ने विवाह धोखे से अथवा तथ्य छिपाकर किया है, तो उस विवाह को रद्द माना जाएगा।