“इंदिरा गांधी ने संविधान के तहत लगाया था आपातकाल”
संजय राउत ने कहा कि इंदिरा गांधी ने संविधान का सम्मान करते हुए आपातकाल लगाया था। उन्होंने इसे एक संवैधानिक कदम बताया और कहा कि जब देश की सुरक्षा को खतरा होता है, तो प्रधानमंत्री राष्ट्रपति की मंजूरी से आपातकाल लगाने का अधिकार रखते हैं। यह अधिकार किसी भी सरकार को संविधान द्वारा दिया गया है। उन्होंने कहा, “इमरजेंसी को संविधानिक मान्यता प्राप्त है, इसे ‘संविधान हत्या’ नहीं कहा जा सकता।”
“2014 से जारी है अघोषित आपातकाल”
राउत ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, “अगर आज के हालात से तुलना की जाए, तो 2014 के बाद से देश में लगातार 11 साल से अघोषित आपातकाल चल रहा है। विपक्ष के नेताओं को जेल में डाला जा रहा है, राज्य सरकारों को गिराया जा रहा है, और हर असहमति को दबाया जा रहा है।”
“इंदिरा गांधी लोकतंत्र की चौकीदार थीं”
संजय राउत ने इंदिरा गांधी की तारीफ करते हुए कहा कि वे चाहतीं तो चुनाव में धांधली कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। आपातकाल के बाद चुनाव कराए गए और वे चुनाव हार गईं, जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आज की सरकार ऐसा करने को तैयार है?
“बीजेपी में हैं वो लोग जो कभी जेल में थे”
राउत ने कहा कि इंदिरा गांधी के दौर में भ्रष्टाचारी जेल में थे, लेकिन आज वही लोग बीजेपी में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल संविधान के दायरे में रहकर लगाया था, जबकि बीजेपी ने पिछले 11 सालों से अघोषित रूप से पूरे सिस्टम को दबाकर रखा है।
“संविधान हत्या दिवस मनाना दिखावा है”
उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि “संविधान हत्या दिवस” मनाना सिर्फ एक नौटंकी है। अगर संविधान की हत्या की बात करनी है तो 1975 की नहीं, 2014 से 2025 तक की करनी चाहिए, जब लोकतंत्र को असल में दबाया जा रहा है। उन्होंने बाला साहेब ठाकरे का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने भी इमरजेंसी का समर्थन किया था।
“महाराष्ट्र में खुली लूट जारी है”
महाराष्ट्र की राजनीति पर बोलते हुए राउत ने मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में हुए घोटालों का जिक्र किया और कहा कि राहुल गांधी ने इनका भंडाफोड़ किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि समृद्धि महामार्ग में 50 फीसदी घोटाला हुआ है और उस पैसे का इस्तेमाल विधायकों की खरीद-फरोख्त में किया गया।
उन्होंने दावा किया कि शक्तिपीठ मार्ग के लिए स्वीकृत 20 हजार करोड़ में से आधे पैसे ठेकेदारों के जरिए निकाले जाएंगे और उनका उपयोग नगरपालिका चुनाव में किया जाएगा।