सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि जो एजेंट गरीब और असहाय लोगों को बेहतर भविष्य के सपने दिखाकर विदेश भेजने का झांसा देते हैं, वे न केवल कानून का उल्लंघन करते हैं बल्कि भारतीय पासपोर्ट की प्रतिष्ठा और गरिमा को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे दलाल लोगों की आर्थिक मजबूरी और अशिक्षा का फायदा उठाते हैं और उन्हें अवैध रूप से विदेशों में भेज देते हैं, जिससे न केवल उनकी जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी प्रभावित होती है।
न्यायालय ने इस तरह की धोखाधड़ी को ‘गंभीर सामाजिक समस्या’ बताया और केंद्र सरकार से ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय दिलाना और उन्हें पुनर्वास देना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी मानव तस्करी और फर्जी ट्रैवल एजेंटों की बढ़ती संख्या के मद्देनज़र आई है, जो भोले-भाले लोगों को अवैध तरीकों से विदेश भेजने का झूठा वादा करते हैं और भारी रकम वसूल कर लेते हैं।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार को ऐसे फर्जी एजेंटों पर नकेल कसनी चाहिए ताकि भारतीय पासपोर्ट की साख बनी रहे और नागरिकों के साथ धोखाधड़ी न हो।