केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर
ने कृषि विज्ञान केंद्रों का ज्ञान और राज्यों के संसाधनों का लाभ
छोटे किसानों तक पहुंचाए जाने तथा गांव-गांव फूड प्रोसेसिंग
यूनिट्स लगाने पर जोर दिया है ।
गांवों – श्री तोमर ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय जलवायुवीय समिति- (उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड)
की द्विवार्षिक बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल करते हुए, जलवायु के हिसाब से अलग-अलग जोन बनाकर
आठ समितियां गठित की गई हैं ताकि क्षेत्र विशेष की समस्याएं मालूम कर उन पर चर्चा करते हुए,
किसानों व कृषि क्षेत्र के हित में योजना बना कर समाधान के प्रयास किए जा सकें।
शुक्रवार को आयोजित बैठक में श्री तोमर ने कहा कि हम सभी का एक ही लक्ष्य है कि हमारे
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देश की कृषि उन्नत कृषि के रूप में आगे बढ़े, जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़े, वर्ष 2022 तक
किसानों की आय दोगुनी हो, कृषि का क्षेत्र भी लाभप्रद हो और इस क्षेत्र में
बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर सृजित हो। इस दिशा में केंद्र व राज्य सरकारें लगातार काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि तरक्की के लिए शिक्षा जरूरी है और संतोष की बात है
कि आईसीएआर के जरिये कृषि शिक्षा को सतत बढ़ावा दिया जा रहा है, वैज्ञानिक नित-नए अनुसंधान कर रहे हैं।
नयी शिक्षा नीति में कृषि के बिंदुओं को लेकर आईसीएआर गंभीरता से काम कर रहा है।
देश में कृषि के विकास में किसानों की अथक मेहनत के साथ ही
कृषि वैज्ञानिकों के शोध का लाभ मिला है, जिससे भारत आज खाद्यान्न में आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि अतिशेष है।
बागवानी, दूध उत्पादन सहित अन्य उत्पादों के उत्पादन में अधिकांश में भारत पहले या दूसरे नंबर पर है।
कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए भी सरकार लगातार प्रयास कर रही हैं।
कृषि क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिल रही है,
यह क्षेत्र आय केंद्रित भी बने, इस पर सरकार का पूरा ध्यान है।
श्री तोमर ने कहा कि छोटे रकबे में भी किसानों की आय वृद्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
ने पीएम किसान स्कीम लागू की। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान है, जिनका रकबा तो नहीं बढ़ाया जा सकता,
लेकिन उन्हें तकनीकी समर्थन देकर,किसान उत्पादक संगठन ( एफपीओ )से जोड़कर समृद्धि लाने का काम किया जा सकता है।
10 हजार नए एफपीओ बनाने, एक लाख करोड़ रूपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड,
10 हजार करोड़ रुपए के निवेश से छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना, मछलीपालन, पशुपालन,
मधुमक्खी पालन व अन्य माध्यमों से कृषि क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने सहित अन्य उपाय कर सरकार
किसानों-कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए सतत प्रयास कर रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गांव-गांव इंफ्रास्ट्रक्चर होगा तो किसान उपज बाद में उचित मूल्य पर बेच सकेंगे।
छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव-गांव खुलने से भी किसानों को लाभ मिलेगा।
देश में केवीके बहुत ही सक्षम व योग्य यूनिट है
जो लगभग हर जिले में है। इनके संसाधन बढ़ाने के लिए सरकार कोशिश कर रही है।
राज्यों के संसाधनों व केवीके के ज्ञान का सदुपयोग कर इसे …….जिलों में छोटे किसानों तक पहुंचाने की योजना बनाना चाहिए।
कृषि वैज्ञानिक गांव-गांव तक पहुंचेंगे, तो किसानों को इसका सीधा फायदा होगा।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि के विकास के लिए इतने रास्ते बनाने की कोशिशें पहले नहीं हुई,
अब प्रधानमंत्री के लगातार प्रयत्नों से योजनाएं बनाई गई,
“फंडिंग हो रही है, कानूनों से भी सारे रास्ते खोले गए हैं,
जिनका लाभ उठाते हुए किसानों की आय दोगुनी ही नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा करने का प्रयास होना चाहिए।
बैठक में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय
दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को प्राप्त करने में सरकार की योजनाएं कारगर साबित होगी।
कृषि सुधार के नए कानून बनने से भी सभी को फायदा होगा।
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने राज्य में कृषि क्षेत्र के विकास की जानकारी देते
हुए बताया कि किसानों की प्रगति के लिए हरसंभव कार्य किए जा रहे है।
राज्य-केंद्र की योजनाओं का पालन करते हुए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
मृदा स्वास्थ्य परीक्षण में भी रिकार्ड कार्य किया है।
इस अवसर पर श्री तोमर ने आईसीएआर के प्रकाशनों का विमोचन भी किया।
बैठक में बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, झारखंड के कृषि मंत्री बादल पत्रलेख,
आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सभी डीडीजी व विभिन्न संस्थानों के निदेशक,
तीनों राज्यों के कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कृषि विभाग के अधिकारी तथा वैज्ञानिक भी शामिल हुए।