भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्तों में अब एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद दिख रही है। हाल ही में दोनों देशों ने व्यापारिक मुद्दों पर बातचीत के लिए सहमति जताई है, जिसमें ‘रेयर अर्थ मटेरियल्स’ (दुर्लभ धातुएं) भी प्रमुख एजेंडा में शामिल हैं।
दोनों देशों के रिश्तों में नया मोड़
चीन के उप-वाणिज्य मंत्री सन की भारत यात्रा छह महीने बाद हुई है, जब भारत के तत्कालीन राजदूत विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया था। मिस्री की यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच लंबे समय से रुकी हुई द्विपक्षीय बातचीत में धीरे-धीरे गति आने लगी थी।
2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों के बाद भारत-चीन संबंध बेहद खराब हो गए थे। दोनों देशों के सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर आमने-सामने थे और राजनयिक बातचीत लगभग ठप हो गई थी। हालांकि, पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से रिश्तों में कुछ नरमी देखी जा रही है।
‘रेयर अर्थ मटेरियल्स’ व्यापार का केंद्र
भारत और चीन के बीच ‘रेयर अर्थ मटेरियल्स’ को लेकर बातचीत खास मायने रखती है। ये दुर्लभ धातुएं इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी, डिफेंस और हाई-टेक उद्योगों के लिए बेहद जरूरी होती हैं। फिलहाल, चीन इस क्षेत्र में वैश्विक बाजार का सबसे बड़ा खिलाड़ी है। भारत, जो इन सामग्रियों की उपलब्धता और आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना चाहता है, इस सहयोग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है।
अगर इस दिशा में समझौता होता है, तो न केवल दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में सुधार हो सकता है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ सकता है।
आगे की राह
भारत और चीन के बीच बातचीत का यह दौर इस बात का संकेत है कि दोनों देश सीमा विवादों को पीछे छोड़कर आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देना चाहते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में यदि वार्ताएं सफल होती हैं, तो ‘रेयर अर्थ मटेरियल्स’ के व्यापार में भारत के लिए नए अवसर खुल सकते हैं और यह साझेदारी दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली की दिशा में अहम कदम हो सकती है।