मनरेगा में ‘भूतों’ की मजदूरी: संभल में फर्जीवाड़े का चौंकाने वाला खुलासा
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के पंवासा ब्लॉक के अतरासी गांव में मनरेगा योजना के तहत एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है। यहां एक दर्जन से अधिक मृत व्यक्तियों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर ₹1.05 लाख की मजदूरी राशि का गबन किया गया। इस मामले में ग्राम प्रधान सुनीता यादव पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने मृतकों के नाम पर जॉब कार्ड बनवाकर उनके खातों में मजदूरी की राशि डाली और कागजों पर गलत तरीके से कार्य पूरा दिखाया।
मृतकों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड
गांव के निवासी संजीव कुमार ने बताया कि उनके दादा जगत सिंह का निधन वर्ष 2020 में हो गया था, लेकिन जांच के दौरान पता चला कि उनके नाम से मनरेगा के तहत मजदूरी निकाली जा रही है। इसी तरह, एक इंटर कॉलेज के प्राचार्य ऋषिपाल सिंह ने भी बताया कि उनकी जानकारी के बिना उनके नाम से जॉब कार्ड बनाकर मजदूरी निकाली गई, जबकि उन्होंने कभी मनरेगा के तहत काम नहीं किया।
प्रशासन की कार्रवाई
संभल के जिलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि करीब 7 महीने पहले यह मामला सामने आया था और जांच के आदेश दिए गए थे। जांच में ₹1.05 लाख का गबन पाया गया, जिसकी वसूली ग्राम प्रधान से की जा रही है। इसके साथ ही गांव में अन्य विकास कार्यों की भी जांच शुरू कर दी गई है।
देशभर में मनरेगा में फर्जीवाड़े के मामले
संभल की यह घटना कोई अकेली नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े के कई मामले सामने आए हैं:
- मुरैना, मध्य प्रदेश: यहां 48 फर्जी जॉब कार्ड बनाकर दो वर्षों में ₹20 करोड़ की मजदूरी राशि निकाली गई। इस मामले में 4 पंचायत सचिवों को निलंबित और 6 जीआरएस को बर्खास्त किया गया।
- गुना, मध्य प्रदेश: मोहम्मदपुर पंचायत में मृतकों और अन्य गांव के लोगों के नाम पर 350 फर्जी जॉब कार्ड बनाकर ₹2 करोड़ खर्च किए गए। इनमें से कई कार्ड आधार सीडिंग के बिना बनाए गए थे।
- नूंह, हरियाणा: नांगल मुबारिकपुर गांव में मृतकों और बुजुर्गों के नाम पर जॉब कार्ड बनाकर करोड़ों रुपये का गबन किया गया। कागजों में 10 रास्ते बनाए गए, जो धरातल पर मौजूद नहीं थे।
- अमरोहा, उत्तर प्रदेश: यहां क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई के नाम पर भी मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए और मजदूरी राशि उनके खातों में डाली गई। जांच में यह मामला सही पाया गया है।
निष्कर्ष
मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना है, लेकिन फर्जीवाड़े के इन मामलों ने इसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जरूरत है कि सरकार और प्रशासन इस योजना की निगरानी को और सख्त करें, ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके और योजना का लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचे।