Bhopal News– कौन कहता है आस्मां में सूराख नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो। दुष्यंत की उपरोक्त पंक्तियां तब चरितार्थ हो उठीं,जब भोपाल काज़ियात में (103 year old man gets married in Bhopal ) 103 साल की उम्र के बुजुर्ग को निकाह के बाद लोगों ने बधाई देने के लिए रोक लिया।
उन्होंने भी लड़खड़ाती आवाज़ में जताया कि उम्र भले सौ पार की हो,अगर जज़्बा हो तो कोई काम मुश्किल नहीं,यानी यदि पुरुष का दिल जवान हो तो,उम्र मायने नहीं रखती। ककज़ियात में काफी देर तक यह विषय लोगों में कौतूहल का विषय बना रहा। ये उन लोगों के लिए एक हौसला बढ़ाने वाली घटना हो सकती है जो 6 दशक बाद ही हिम्मत हार जाते हैं। यानी हिम्मत-ए-मर्दा,मदद-ए-ख़ुदा।