इलेक्ट्रिक कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की ताज़ा रिपोर्ट ‘ग्लोबल ईवी आउटलुक 2025’ के मुताबिक, दुनियाभर में इलेक्ट्रिक कारों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। 2030 तक दुनिया में बिकने वाली हर 10 में से 4 कारें इलेक्ट्रिक होंगी।
कम कीमतें और किफायती होना बना सबसे बड़ी वजह
रिपोर्ट में बताया गया है कि इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें अब पहले के मुकाबले कम हो गई हैं। जैसे-जैसे ये गाड़ियां आम लोगों की पहुंच में आ रही हैं, इनकी बिक्री भी बढ़ रही है।
2024 में रिकॉर्ड तोड़ 1.7 करोड़ इलेक्ट्रिक कारें बिकीं
पिछले साल यानी 2024 में दुनिया भर में 1.7 करोड़ से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बिकीं। इससे पहली बार ग्लोबल बाजार में इनकी हिस्सेदारी 20 फीसदी के पार पहुंच गई।
2025 की पहली तिमाही में भी तगड़ी बढ़त
2025 की पहली तिमाही में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में 35 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी हुई। कई बड़े देशों में नए रिकॉर्ड भी बने।
भारत में 5 साल में 146 गुना बढ़ी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री
भारत में 2019 में सिर्फ 680 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं। वहीं 2024 तक ये संख्या 1 लाख के पार पहुंच गई। मतलब 5 साल में 146 गुना बढ़ोतरी। 2023 में 82,000 कारें बिकी थीं और 2025 की पहली तिमाही में ही 35,000 इलेक्ट्रिक कारें बिक चुकी हैं।
एशिया और लैटिन अमेरिका में भी तेजी से बढ़ी डिमांड
भारत समेत एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग में 60 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखा गया है।
बैटरी सस्ती, कीमत घटी, लोगों का झुकाव बढ़ा
2024 में बैटरी की कीमतों में कमी और कंपनियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा की वजह से इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें भी नीचे आईं। चीन में तो दो-तिहाई इलेक्ट्रिक कारें पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से भी सस्ती बिक रही हैं।
ईंधन और मेंटेनेंस में भी सस्ती पड़ती हैं इलेक्ट्रिक कारें
ईंधन और रखरखाव के खर्च के मामले में भी इलेक्ट्रिक कारें काफी सस्ती हैं। उदाहरण के लिए, अगर कच्चे तेल की कीमत 40 डॉलर प्रति बैरल तक भी गिर जाए, तब भी यूरोप में घरेलू चार्जिंग से इलेक्ट्रिक कार चलाना पेट्रोल-डीजल कार के मुकाबले आधे खर्च में संभव है।