बालाघाट जिले के तिरोड़ी कस्बे में पिछले लगभग 63 वर्षों से रह रहे 86 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग ची (उर्फ़ राजबहादुर) को हाल ही में वीज़ा समाप्ति का नोटिस मिला है, जिसमें उन्हें भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है
कैसे आए थे भारत और कैसे बना परिवार
- 1962 के भारत–चीन युद्ध में वह गलती से अरुणाचल प्रदेश में दाखिल हो गए थे। 3 जनवरी 1963 को भारतीय सेना द्वारा उन्हें जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया ।
- 1969 तक अलग-अलग जेलों में बंद रहने के बाद कोर्ट के आदेश पर तिरोड़ी में बसने की इजाज़त मिली। उन्होंने वहीं विवाह किया, लडकी सुशीला से – और वहीं बढ़ा परिवार ।
वीज़ा का दौर: 48 साल बिना, फिर झटके पर झटका
- 1969‑2017 तक वांग ची बिना किसी वीज़ा के भारत में रहे।
- 2017 के बाद उन्हें अल्पकालिक वीज़ा मिलने शुरू हुए, लेकिन हर 4–6 माह पर ₹15,000 खर्च कर नवीनीकरण करना पड़ता है, जिससे आर्थिक भार बना रहता है
- हालिया नोटिस में बताया गया कि वीज़ा एक्सपायर हो चुका है, และ परिवार ने कलेक्टर से 5‑10 साल का मल्टी‑एंट्री वीज़ा मांगा है ।
दूसरी परेशानियाँ और भविष्य की अनिश्चितता
- परिवार को मिली जाति प्रमाण-पत्रों की अनुमति नहीं मिली, जिस वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल रहा है ।
- वीज़ा समाप्ति की सूचना मिलने के बाद वांग ची 2021‑23 में अपने भाई‑बहन की मृत्यु के समय चीन यात्रा नहीं कर पाए, जिससे उनकी भी मानसिक दशा और बिगड़ी ।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और दबाव खबर
- कलेक्ट्रेट ने स्पष्ट किया कि यह मामला विदेश मंत्रालय (FRRO) से संबंधित है; जिला प्रशासन सीमित मदद तक ही सीमित है
- परिवार का कहना है कि वे “मानवीय आधार पर” वांग ची को स्थाई या लंबी अवधि का वीज़ा देंगे – ताकि वे भारत या चीन, दोनों में सहज जीवन जी सकें ।
एक पूर्व सैनिक, जिसकी पहचान 60 साल से बदल चुकी है, आज एक मामूली वीज़ा समाप्ति के नोटिस से जूझ रहा है। आर्थिक दबाव, सामाजिक व कानूनी अड़चनें—यह परिवार अपनी जड़ें खोने से जूझ रहा है। अब यह देखना है कि क्या सरकार उनकी 63 साल की भारतीय विरासत को मान्यता देगी या उन्हें “गैरकानूनी प्रवासी” करार देगी।
अधिक जानकारी:
- वांग ची का वीज़ा संकट और भविष्य की लड़ाई लिए सोशल मीडिया पोस्ट:
- विस्तृत पोलिस रिकॉर्ड और पहचान की जाँच: