CVR (Cockpit Voice Recorder): जो पायलट और को-पायलट की बातचीत रिकॉर्ड करता है।
- FDR (Flight Data Recorder): जो विमान की टेक्निकल जानकारी जैसे स्पीड, अल्टीट्यूड, और इंजन परफॉर्मेंस रिकॉर्ड करता है।
25 जून को, क्रैश प्रोटेक्शन मॉड्यूल (CPM) से मेमोरी सफलतापूर्वक निकाली गई और डेटा डाउनलोड कर लिया गया। फिलहाल, इन रिकॉर्ड्स का विश्लेषण ज़ोरों से जारी है।
क्यों ज़रूरी है ये डेटा?
ब्लैक बॉक्स के रिकॉर्ड से ये जानना संभव होगा कि आखिर टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद ऐसा क्या हुआ, जिसने इतने आधुनिक विमान को धूल में मिला दिया। क्या था तकनीकी फेल्योर? क्या कोई मानवीय भूल? या फिर कोई और छिपा कारण?

अफवाहों पर विराम
जब यह हादसा हुआ तो कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ब्लैक बॉक्स की जांच के लिए उसे विदेश भेजा जाएगा, लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने साफ किया कि इसकी जांच भारत में ही होगी — और वो हो रही है, देश के सर्वश्रेष्ठ एक्सपर्ट्स द्वारा।
आगे क्या?
अब जब ब्लैक बॉक्स का डेटा मिल गया है:
- CVR और FDR डेटा का डीप एनालिसिस जारी है।
- दुर्घटना से ठीक पहले की हर सेकंड की जानकारी की जांच होगी।
- इन जानकारियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी और सिफारिशें दी जाएंगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
- इंडिया की यह दुर्घटना केवल एक हादसा नहीं थी — यह 270 परिवारों का दर्द, एक पूरे देश की चिंता और विमानन प्रणाली की परीक्षा थी। ब्लैक बॉक्स से मिले डेटा ने इस गुत्थी को सुलझाने की उम्मीद जगा दी है। अब पूरा देश देख रहा है कि आखिर उस दिन आसमान में ऐसा क्या हुआ, जो जिंदगी से भरा जहाज़ मौत का मलबा बन गया।