भोपाल (मध्य प्रदेश): टीटी नगर में 32 वर्षीय अमित कुमार की मौत ने भोपाल प्रशासन को नींद से जगाया जरूर है, लेकिन शहर की जर्जर इमारतों में रहने वाले हजारों परिवार अब भी मौत के मुहाने पर जी रहे हैं।
बुधवार को एक पुरानी सरकारी इमारत का हिस्सा अचानक गिर पड़ा, जिससे अमित की मौके पर ही मौत हो गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इस इमारत को करीब 10 साल पहले ही ‘असुरक्षित’ घोषित कर खाली करा लिया गया था, लेकिन 200 से ज्यादा परिवार फिर से यहां लौट आए और अवैध रूप से रहने लगे।
घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया और गुरुवार से बुलडोज़र चलाकर खतरनाक इमारतों को गिराने और अवैध कब्जों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
वीरान पड़ी कॉलोनियां बनी मौत के अड्डे
वार्ड 25 के पार्षद जगदीश यादव ने बताया कि पुरानी विधायक कॉलोनी के पीछे का इलाका, जहां हादसा हुआ, सालों से वीरान पड़ा था और अवैध गतिविधियों का अड्डा बन चुका था।
“कई बार बेदखली के आदेश दिए गए, लेकिन लोग फिर लौट आते हैं। कुछ तो इन खतरनाक घरों को किराए पर भी दे रहे हैं। अब सख्त कार्रवाई जरूरी है,” उन्होंने कहा।
अरेरा कॉलोनी से लेकर ऐशबाग तक खतरे में जिंदगी
ऐसे ही हालात शहर के अन्य इलाकों में भी हैं। ऐशबाग के जनता क्वार्टर्स में 600 से ज्यादा जर्जर मकानों पर गिराने के आदेश तो हैं, लेकिन बार-बार होने वाले विरोध प्रदर्शनों की वजह से कार्रवाई लटक गई है। ये मकान 50 साल पहले हाउसिंग बोर्ड ने बनाए थे, लेकिन अब इनकी दीवारें गिर रही हैं और छतों के किनारे टपक रहे हैं।
करोंद क्षेत्र के करीब 200 क्वार्टर्स भी जर्जर हालत में हैं। यहां रहने वाले बताते हैं कि वे अंदरूनी मरम्मत तो खुद कर लेते हैं, लेकिन बाहरी ढांचे की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। निवासी तसलीमा बी कहती हैं, “कुछ लोग बाहर से भी मरम्मत करवाते हैं, लेकिन नीचे की नींव कमजोर है, जिससे कभी भी ढहने का खतरा बना रहता है।”
शहर में 1,200 से ज्यादा खतरनाक इमारतें
भोपाल नगर निगम के मुताबिक, शहर में 1,200 से ज्यादा इमारतों को असुरक्षित घोषित किया गया है, जिनमें करीब 3,000 से अधिक लोग अब भी रह रहे हैं। इनमें ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। हर साल मानसून से पहले नोटिस दिए जाते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग मजबूरी में इन खतरनाक ढांचों में ही रह जाते हैं।
टीटी नगर एसडीएम अर्चना शर्मा ने बताया, “जिस इमारत में मौत हुई थी, उसे गिरा दिया गया है। बाकी खतरनाक इमारतों को भी गिराया जा रहा है और अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं।”
15 कुत्तों के लिए जोखिम भरी जिंदगी
एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। हादसे वाली इमारत के पास रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि उसका खुद का मकान शिवाजी नगर में है, लेकिन वह 15 पालतू कुत्तों की वजह से जर्जर मकान में रह रहा है। “उन्हें छोड़ नहीं सकता,” उसने कहा।
निशातपुरा में पहले भी हो चुकी है मौत
यह पहली घटना नहीं है। अगस्त 2023 में निशातपुरा में एक साल के मासूम बच्चे की मौत तब हो गई थी जब जर्जर मकान की छत से प्लास्टर का टुकड़ा गिरा था।
अब जब बुलडोज़र चल रहे हैं और अफसर सक्रिय हुए हैं, तब यह साफ है कि भोपाल की ये जर्जर इमारतें सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर की नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही, गरीबी और मजबूरी की भी कहानी हैं। जब तक ठोस और सुरक्षित पुनर्वास की योजना नहीं बनेगी, तब तक ये हादसे बार-बार होते रहेंगे — और हर बार कीमत चुकाएंगे भोपाल के आम लोग।