मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट की है। इसकी वजह भी है, क्योंकि यहां से राज्य सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत चुनाव मैदान में हैं, तो इस जिले के तीन शिवराज सरकार में मंत्री है, इस तरह तीनों मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
राज्य के गिनती के उन जिलों में से सागर ऐसा जिला है, जहां से शिवराज सिंह चौहान सरकार में तीन मंत्री हैं। इस जिले की सुरखी विधानसभा सीट पर राज्य सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भाजपा की ओर से किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं उनके अलावा इस जिले से दो और मंत्री भी आते हैं भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव।
इस तरह सुरखी विधानसभा क्षेत्र में कुल मिलाकर भाजपा के साथ ही तीनों मंत्रियों के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। इसकी एक और वजह भी है, क्योंकि गोविंद राजपूत की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबियों में भी होती है। उनका यहां मुकाबला भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक पारुल साहू से है।
सुरखी विधानसभा में चुनावी मुकाबला रोचक है, क्योंकि पुराने प्रतिद्वंद्वी राजपूत और पारुल साहू आमने-सामने हैं। वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में पारुल साहू ने भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था और उन्होंने राजपूत को शिकस्त दी थी, इस बार दोनों आमने-सामने हैं मगर उनके दल अलग-अलग हैं।
भाजपा उम्मीदवार और मंत्री राजपूत ने चुनावी मुद्दा विकास को बनाया है तो दूसरी ओर साहू इस चुनाव को अहंकार के खिलाफ लड़ाई बता रही है।
राजनीतिक विश्लेषक विनोद आर्य का मानना है कि सुरखी का विधानसभा चुनाव राजनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण तो है ही, साथ में जिले के तीनों मंत्रियों की राजनीतिक हैसियत को भी प्रभावित करने वाला होगा। भाजपा को जीत मिलती है तो राज्य की सियासत में सागर की ताकत और बढ़ेगी, वही राजपूत के हारने से भूपेंद्र सिंह और भार्गव के राजनीतिक कद पर प्रभाव पड़ना तय है। ऐसा इसलिए, क्योंकि मंत्री भूपेंद्र सिंह प्रभारी हैं और गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली से सुरखी का नाता भी है।