चुनाव में जमानत जब्त होने का मतलब होता है कि उम्मीदवार ने चुनाव लड़ने के लिए जमानत के रूप में जो राशि दी थी, वह वापस नहीं मिलती है। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि किसी चुनाव में उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 1/6 यानी 16.67 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी चुनाव में कुल 1000 वैध वोट पड़ते हैं और किसी उम्मीदवार को केवल 167 वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी।
जमानत राशि अलग-अलग चुनावों के लिए अलग-अलग होती है। लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये बतौर जमानत राशि जमा कराने होते हैं, वहीं विधानसभा चुनाव के लिए ये राशि 10 हजार रुपये होती है।
जमानत राशि जब्त होने से उम्मीदवार को आर्थिक नुकसान होता है। इसके अलावा, इसका यह भी मतलब होता है कि उम्मीदवार को चुनाव लड़ने में गंभीरता नहीं थी।
जमानत राशि बचने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 16.67 फीसदी या इससे अधिक वोट प्राप्त करने होते हैं।
किस चुनाव में कितनी राशि?
सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए: ₹25,000
एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवार के लिए: ₹12,500
विधानसभा चुनाव
सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए: ₹10,000
एससी/एसटी वर्ग के उम्मीदवार के लिए: ₹5,000
राष्ट्रपति चुनाव
सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए: ₹15,000
उपराष्ट्रपति चुनाव
सभी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए: ₹15,000
जमानत राशि जब्त होने के नियम
यदि किसी चुनाव में उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 1/6 यानी 16.67 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी चुनाव में कुल 1000 वैध वोट पड़ते हैं और किसी उम्मीदवार को केवल 167 वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी।
जमानत राशि बचने के लिए उम्मीदवार को कुल वैध मतों का 16.67 फीसदी या इससे अधिक वोट प्राप्त करने होते हैं।