khabar Aaj ki मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के शपथ ग्रहण के 5 दिन बाद भी मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो सका है। कल देर रात दिल्ली में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ ही बीजेपी नेताओं की मीटिंग के बाद अटकलें तेज हो गई हैं। इस बैठक के बाद ऐसा माना जा रहा है कि इस मध्य प्रदेश में एक अलग तरह का कैबिनेट देखने को मिल सकता है। इसके बाद सिंधिया समर्थक विधायकों को मंत्रियों को बड़ा झटका लग सकता है।
दरअसल, शिवराज सरकार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थक विधायकों में से अधिकतर नेताओं को मंत्री बनाया गया था। लेकिन इस बार इन नेताओं को करारा झटका लग सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई सिंधिया समर्थक कई मंत्री इस चुनाव में बुरी तरह हार चुके हैं, तो वहीं मोहन कैबिनेट को अलग बनाने के लिए सिंधिया समर्थक विधायकों के साथ ही कई दिग्गज नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी।
राजनीतिक जानकार मानते हैं इस बार का मंत्रिमंडल विस्तार उम्र के साथ ही जातिगत समीकरणों को देखते हुए किया जाएगा। जिसके कारण कई नेताओं का पत्ता कटने का अनुमान है।
इन सिंधिया समर्थकों को मिल सकती है जगह
मध्य प्रदेश का पहला कैबिनेट विस्तार थोड़ा छोटा होने का अनुमान है। इसमें चुनिंदा विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। अगर सिंधिया समर्थक विधायकों की बात करें तो पूर्व मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, तुलसी सिलावट, डॉक्टर प्रभुराम चौधरी, गोविंद सिंह राजपूत, बिसाहू लाल साहू, हरदीप सिंह डंग, बृजेंद्र सिंह यादव ने जीत दर्ज की है।
सिंधिया समर्थक जीते हुए सभी पूर्व मंत्रियों का इस बार मंत्री बनना मुश्किल नजर आ रहा है। लेकिन फिर भी तुलसी सिलावट और प्रदुम्न सिंह तोमर को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।
सिंधिया समर्थक कौन-कौन हारा?
BJP-बीजेपी की सुनामी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक उम्मीदवारों का प्रदर्शन अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा है। उनके कई समर्थक मंत्री और विधायक चुनाव हार चुके हैं। इनमें राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया, सुरेश धाकड़ राठखेड़ा, जयपाल सिंह जज्जी, कमलेश जाटव, इमरती देवी, रघुराज सिंह कंसाना को हार का सामना पड़ा है। अब इनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
सिंधिया समर्थक विधायकों को लगने वाले झटके के कारण
कई सिंधिया समर्थक मंत्री इस चुनाव में बुरी तरह हार चुके हैं।
मोहन कैबिनेट को अलग बनाने के लिए सिंधिया समर्थक विधायकों के साथ ही कई दिग्गज नेताओं को इस बार मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलेगी।
मंत्रिमंडल विस्तार उम्र के साथ ही जातिगत समीकरणों को देखते हुए किया जाएगा।
कैबिनेट में शामिल होने की संभावना वाले सिंधिया समर्थक विधायक