साधु-संतों में बढ़ती जा रही नाराजगी, कर्नाटक भाजपा की उद्दंडता पर हुए गंभीर
यदि किसी व्यक्ति की शादी हो रही है, उसकी बारात निकलने वाली है, लेकिन जिस दर्जी को सिलनेके लिए कपड़े दिए गए हैं, वह समय पर अपना काम पूरा नहीं कर पाया तो क्या कोई व्यक्ति अधूरे सिले कपड़े पहनकर बारात में चला जाएगा क्या…. इसी तरह देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है और वे अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। उनकी बुद्धि भ्रष्ट होना लाजिमी भी है, क्योंकि उनके साथ एक महिला का श्राप जुड़ा हुआ है। दिखावे के तौर पर उनकी पत्नी भले उन्हें कुछ न कह रही हों, लेकिन वास्तविकता यही है कि मोदी जी ने एक महिला के साथ अन्याय किया है और इसकी सजा उन्हें इसी जन्म में मिलने वाली है।
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्रीराम मंदिर के उद्घाटन को लेकर साधु-संत समाज नाराज भी है और उग्र भी होता जा रहा है। इस मामले को लेकर स्वामी दयाशंकर ने एक सोशल मीडिया नेटवर्क टाइम्स एक्सप्रेस (Network Times Express) को दिए साक्षात्कार में अपनी नाराजगी भी जताई है और मंदिर उद्घाटन को नियमाविरुद्ध भी बताया है। उन्होंने इस मामले को चुनावी जल्दबाजी करार देते हुए अधूरे निर्माण पर महज अपनी नाम पट्टिका लगाने के प्रयास बताए हैं।
सनातन की मर्यादाओं का निरादर कर रहे मोदी
स्वामी (Swami Dayashankar) ने अपने साक्षात्कार के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री मोदी सनातन मर्यादाओं को पूरी तरह उल्लंघित कर रहे हैं। जिस पत्नी के साथ उन्होंने सात फेरे लिए और उनका साथ निभाने का वचन दिया, उसे बुरे हाल में छोड़ दिया। वह व्यक्ति उस भगवान रामलला की मूर्ति स्थापित करने जा रहा है, जिस राम ने अपनी पत्नी का हर सुख, दुख, अच्छे और बुरे काल में साथ नहीं छोड़ा था। राम हमारे पूज्य इसीलिए हैं कि उन्होंने राष्ट्रहित के साथ दांपत्य जीवन के हर दायित्व का निर्वहन भी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा किया है। स्वामी ने कहा कि श्रीराम मर्यादाओं का निर्माण करने वाले हैं और मोदी जी मर्यादाओं को कलंकित और तोड़ने वाले पुरुषों में शामिल हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अज्ञान के अंधेरे में डूबा हुआ व्यक्ति करार दिया है। स्वामी ने उन साधु-संतों पर भी निशाना साधा है, जिन्होंने साधुवेष धारण कर न सिर्फ संत समाज को कलंकित किया है, बल्कि एक बड़े काम के लिए भी राजनेताओं को अंधेरे में डाल दिया है।
धैर्य की कमी है
स्वामी ने कहा कि आज जो साधु-संत और मठाधीश का धर्म का चोला पहनकर बैठे हैं, उनमें धैर्य की कमी है। यही हालात हमारे राजनेताओं में भी है, जिन्हें 2024 के चुनाव के सिवा कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। इस चुनाव को जीतने की लालसा के साथ वे अधूरे राम मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। जबकि होना यह था कि मंदिर का निर्माण जारी है, उसका काम पूरा हो जाने तक धैर्य रखा जाता और इसके पूरे होने पर इसका विधि विधान के साथ उद्घाटन किया जाता। स्वामी ने कहा कि यह आडंबर और दिखावा भी उचित नहीं है कि मंदिर निर्माण उनके करने या प्रयास से हो रहा है, जबकि इसके लिए बलिदानियों का 500 साल का इतिहास है, जिनके प्रयासों ने इस निर्माण की राह आसान की है।
कर्नाटक भाजपा ने बना दिया मोदी को राम से बड़ा
श्रीराम मंदिर उद्घाटन कार्यक्रम के साथ विवादों की लंबी फेहरिस्त जुड़ती जा रही है। कर्नाटक भाजपा द्वारा इस कार्यक्रम को लेकर बनाए गए पोस्टर में जहां मोदी को बड़े आकार में दर्शाया गया है, वहीं भगवान राम को छोटा बच्चा दर्शाते हुए उन्हें मोदी की उंगली थामे दिखाया गया है। यह पोस्टर दर्शा रहा है कि भगवान राम के बाल रूप को प्रधानमंत्री मोदी उंगली पकड़कर उनकी जन्मस्थली अयोध्या के राम मंदिर में ले जा रहे हैं। हालांकि विवाद के बाद इस पोस्ट को ट्विटर से दो घंटे बाद ही हटा दिया गया। इधर कार्यक्रम में राम जन्मभूमि से जुड़े बुजुर्ग भाजपाइयों को दरकिनार किया जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इन भाजपा नेताओं को कार्यक्रम में यह कहकर नहीं बुलाया गया है कि वे बहुत बुजुर्ग हैं और उन्हें इसमें शामिल होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।