भोपाल। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मिजोरम के राज्यपाल रहे कांग्रेस के व्योवृद्ध नेता डॉ अजीज कुरैशी (Dr. Aziz Qureshi) का शुक्रवार को इंतकाल हो गया। 83 वर्ष के डॉ कुरैशी मप्र से लोकसभा सांसद भी रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने मप्र उर्दू अकादमी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सम्हाली है। स्व इंदिरा गांधी के जमाने से कांग्रेस से जुड़े और इंदिरा गांधी के करीबी रहे डॉ कुरैशी पार्टी के विभिन्न पदों पर भी रहे हैं। मुखर वाणी और अधिकारों के लिए अड़ जाने वाले कुरैशी अपने अंतिम दिनों तक भी आवाज उठाते रहे हैं। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे डॉ कुरैशी को इलाज के लिए दिल्ली भी ले जाया गया था। जिसके बाद कुछ दिनों पूर्व वे वापस भोपाल आ गए थे। यहां एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने शुक्रवार को अंतिम सांस ली।
24 अप्रैल 1941 को जन्मे डॉ अजीज कुरैशी की शिक्षा उप्र के आगरा और मप्र में भोपाल में हुई। अपनी सियासी पारी में उन्होंने मप्र के अलावा उप्र में भी तीखे तेवरों के साथ मौजूदगी दिखाई। कांग्रेस के खाते से उत्तराखंड के राज्यपाल बनाए गए। उन्होंने उत्तर प्रदेश और मिजोरम में भी अतिरिक्त जिम्मेदारी के साथ इस पद पर सेवाएं दीं। इसके अलावा उन्होंने मप्र उर्दू अकादमी में भी अध्यक्षीय सेवाएं दी हैं। सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भी वे जुड़े रहे हैं।
मुखरता से खास पहचान
डॉ अजीज कुरैशी अपनी बेबाकी और मुखरता के चलते सियासत में खास पहचान रखते थे। कई मुद्दों पर वे अक्सर अपनी पार्टी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व से भी भिड़ जाया करते थे। राज्यपाल पद से निवृत्त होने के बाद डॉ अजीज कुरैशी ने कई बार पार्टी की उन व्यवस्थाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की, जिसमें मुस्लिम सियासत को दरकिनार किया जाता दिखाई दे रहा था। संगठन में मुस्लिम नेतृत्व से लेकर पार्टी के पोस्टर बैनरों से मुस्लिम नेताओं के फोटो हटाए जाने पर भी उन्होंने विरोध के स्वर उठाए थे।
बीमारी में भी रहे सक्रिय
83 साल की उम्र पर पहुंच चुके डॉ अजीज कुरैशी लंबे समय से बीमार थे। मोटापे और कई बीमारियों के चलते उन्हें चलने फिरने में दिक्कतें आती थीं। बावजूद इसके वे सियासत और सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी सक्रियता बनाए रखते थे। राजधानी भोपाल के इकबाल मैदान में उनके समर्थकों द्वारा किया जाने वाला सालाना मुशायरा भी एक खास पहचान रखता है।
पीछे छोड़ गए खालीपन
डॉ अजीज कुरैशी ने अपने जीवनकाल में शादी नहीं की थी। इसलिए उनकी सियासी विरासत सम्हालने वाला कोई नहीं है। उनके इंतकाल के बाद प्रदेश की मुस्लिम सियासत में एक बड़ी रिक्तता महसूस की जा रही है।
रात 8:30 बजे होंगे सुपुर्द ए खाक
मरहूम डॉ अजीज कुरैशी की नमाज ए जनाजा शुक्रवार रात
8.30 बजे कोहे फिजा स्थित
सुफिया मस्जिद में अदा की जाएगी। बड़ा बाग क़ब्रिस्तान पालीवाल अस्पताल के पीछे सुपुर्दे खाक किया जाएगा।