क्या छोटा शहर बड़े सपने देख सकता है? इन तीन महिलाओं ने सिर्फ सपना नहीं देखा, बल्कि अपने जुनून से उसे हकीकत बना दिखाया। आइए जानें उन कहानियों को जो आज प्रेरणा का पर्याय बन चुकी हैं।
कल्पना सरोज: झुग्गियों से करोड़ों तक का सफर
जन्मस्थान: रोपरखेड़ा, अकोला, महाराष्ट्र
पद: चेयरपर्सन, कमानी ट्यूब्स
सम्मान: पद्म श्री (2013)
कल्पना सरोज का जीवन संघर्षों से भरा रहा। एक दलित परिवार में जन्मी, उन्होंने 12 वर्ष की आयु में विवाह किया और घरेलू हिंसा का सामना किया। समाज से बहिष्कृत होने के बाद, उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया, लेकिन फिर से जीवन की ओर रुख किया। मुंबई में एक गारमेंट फैक्ट्री में काम करते हुए, उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर टेलरिंग और फर्नीचर व्यवसाय शुरू किया। बाद में, उन्होंने कमानी ट्यूब्स नामक एक बंद पड़ी कंपनी को खरीदकर उसे पुनर्जीवित किया और आज वह $112 मिलियन की संपत्ति की मालिक हैं।

चंदा कोचर: बैंकिंग की दुनिया में एक महिला की पहचान
जन्मस्थान: जोधपुर, राजस्थान
पद: पूर्व एमडी और सीईओ, आईसीआईसीआई बैंक
सम्मान: फोर्ब्स और फॉर्च्यून की ‘सबसे शक्तिशाली महिलाओं’ की सूची में स्थान
चंदा कोचर ने जय हिंद कॉलेज से वाणिज्य में स्नातक किया और जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। 1984 में, उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक में प्रबंधन प्रशिक्षु के रूप में करियर शुरू किया और 2009 में बैंक की एमडी और सीईओ बनीं। उनके नेतृत्व में, बैंक ने खुदरा बैंकिंग में नई ऊंचाइयों को छुआ। हालांकि, 2018 में, उन्हें एक ऋण धोखाधड़ी मामले में आरोपित किया गया और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

अरुणिमा सिन्हा: कृत्रिम पैर के साथ एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला
जन्मस्थान: लखनऊ, उत्तर प्रदेश
उपलब्धि: कृत्रिम पैर के साथ माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाली विश्व की पहली महिला
अरुणिमा सिन्हा एक राष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल खिलाड़ी थीं। 2011 में, एक ट्रेन यात्रा के दौरान लुटेरों ने उन्हें चलती ट्रेन से फेंक दिया, जिससे उनका एक पैर गंवाना पड़ा। इस दर्दनाक घटना के बाद भी, उन्होंने हार नहीं मानी। कृत्रिम पैर के सहारे, उन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके इतिहास रच दिया। उनकी यह उपलब्धि न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में प्रेरणा का स्रोत बनी।

निष्कर्ष
कल्पना सरोज, चंदा कोचर और अरुणिमा सिन्हा की कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि छोटे शहरों की महिलाएं भी बड़े सपने देख सकती हैं और उन्हें साकार कर सकती हैं। उनके संघर्ष और सफलता की कहानियाँ अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।