भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आने वाली जून 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई दर में हालिया नरमी और वैश्विक आर्थिक माहौल को देखते हुए अब ब्याज दरों में राहत की उम्मीद की जा सकती है।
रेपो रेट क्या होता है?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों के लिए पैसा सस्ता हो जाता है और वे लोन सस्ते ब्याज पर दे सकते हैं।
वर्तमान में रेपो रेट 6.50% पर स्थिर है, जो फरवरी 2023 से अब तक नहीं बदला गया है। इस बीच महंगाई दर में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन में सुधार ने केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों में कटौती के लिए जगह दी है।
क्यों जरूरी है यह कटौती?
- आम आदमी को राहत:
रेपो रेट में कटौती से होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन की ब्याज दरें घट सकती हैं। इससे ईएमआई का बोझ कम होगा और खपत बढ़ेगी। - बिज़नेस सेक्टर को प्रोत्साहन:
छोटे और मंझोले उद्योगों (MSMEs) के लिए फंडिंग सस्ती हो सकती है, जिससे वे अपने संचालन और विस्तार में निवेश कर सकेंगे। - रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को बूस्ट:
सस्ती फाइनेंसिंग के चलते घर और गाड़ी खरीदने के फैसले तेज़ी से लिए जा सकते हैं, जिससे इन सेक्टरों को नई रफ्तार मिलेगी।
महंगाई दर में नरमी से उम्मीद बढ़ी
अप्रैल 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर 4.6% रही, जो आरबीआई के टॉलरेंस बैंड (2-6%) के भीतर है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता और तेल की कीमतों में गिरावट ने भी राहत दी है।
RBI का लक्ष्य महंगाई को नियंत्रित करते हुए आर्थिक ग्रोथ को बनाए रखना है। ब्याज दरों में कटौती से डिमांड बढ़ सकती है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स?
HDFC बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट समीर नारंग कहते हैं, “अगर महंगाई का ट्रेंड इसी तरह नीचे बना रहा, तो जून या अगस्त की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती संभव है।”
इसी तरह, SBI रिसर्च की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2025 की दूसरी तिमाही में ब्याज दरों में ढील दी जा सकती है, जो अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव संकेत होगा।
बाजार पर असर
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से शेयर बाजार में पॉजिटिव सेंटीमेंट देखने को मिला है। बैंकिंग और रियल एस्टेट सेक्टर के शेयरों में पिछले एक हफ्ते में 2-3% की बढ़त देखी गई है।
निष्कर्ष:
अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है तो यह आम जनता, उद्योग जगत और शेयर बाजार सभी के लिए राहत की खबर होगी। हालांकि, यह पूरी तरह से महंगाई और वैश्विक आर्थिक संकेतकों पर निर्भर करेगा कि रिज़र्व बैंक कितना आक्रामक रुख अपनाता है।