प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
वाल्मीक थापर का जन्म 1952 में नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता, रोमेश थापर, एक प्रसिद्ध पत्रकार और राजनीतिक टिप्पणीकार थे, जबकि उनकी चाची, रोमिला थापर, एक प्रतिष्ठित इतिहासकार हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से मानवशास्त्र में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। थापर का विवाह थिएटर कलाकार संजना कपूर से हुआ, और उनके पुत्र का नाम हमीर है।
बाघों के प्रति समर्पण
1976 में, थापर ने रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों के संरक्षण के लिए काम करना शुरू किया। यहाँ उनकी मुलाकात प्रसिद्ध संरक्षणवादी फतेह सिंह राठौर से हुई, जिनके मार्गदर्शन में उन्होंने बाघों के व्यवहार और संरक्षण पर गहन अध्ययन किया। उन्होंने रणथंभौर फाउंडेशन की स्थापना की, जो स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर वन्यजीव संरक्षण में कार्यरत है।
लेखन और डॉक्युमेंट्री कार्य
थापर ने बाघों और वन्यजीवों पर 25 से अधिक पुस्तकें लिखीं, जिनमें ‘Tigers: My Life’, ‘The Secret Life of Tigers’ और ‘Tiger Gold’ प्रमुख हैं। उन्होंने BBC, Animal Planet, Discovery और National Geographic के लिए कई डॉक्युमेंट्री फिल्में भी बनाई, जिनमें ‘Land of the Tiger’ और ‘My Tiger Family’ शामिल हैं।
नीति निर्माण और आलोचना
थापर ने 2005 में भारत सरकार द्वारा गठित टाइगर टास्क फोर्स के सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की विफलताओं और वन विभाग की वैज्ञानिक प्रशिक्षण की कमी पर खुलकर आलोचना की। उनका मानना था कि बाघों और मानवों के सह-अस्तित्व की नीति व्यावहारिक नहीं है और इससे बाघों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
पुरस्कार और सम्मान
थापर को 2017 में ‘लाइफटाइम सर्विस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने राजस्थान सरकार के वन्यजीव बोर्ड के सदस्य के रूप में भी कार्य किया और ‘वन धन योजना’ जैसी योजनाओं के माध्यम से वन संरक्षण में योगदान दिया।
अंतिम विदाई
31 मई 2025 को, वाल्मीक थापर ने दिल्ली में अंतिम सांस ली। उनकी मृत्यु पर केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने उन्हें ‘एक अनोखा व्यक्ति’ बताया और कहा कि उनका जाना भारत के लिए एक बड़ी क्षति है। वहीं वन्यजीव विशेषज्ञ नेहा सिन्हा ने वाल्मीक थापर को “भारतीय बाघों की अंतरराष्ट्रीय आवाज” बताया और उनकी किताबें पढ़ने की सलाह दी।