मध्य-पूर्व में एक बार फिर युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। शुक्रवार को इज़राइली सेना ने दावा किया कि उसने ईरान की राजधानी तेहरान और आसपास के इलाकों में दर्जनों सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। इनमें मिसाइल निर्माण फैक्ट्रियां, रॉकेट इंजन प्रोडक्शन यूनिट्स और एक परमाणु अनुसंधान केंद्र (nuclear research facility) शामिल हैं।
IDF का दावा: 60 से ज्यादा फाइटर जेट्स ने लिया हिस्सा
इज़राइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 60 से अधिक एयरफोर्स फाइटर जेट्स ने भाग लिया और ईरानी रक्षा मंत्रालय की “औद्योगिक रीढ़” को लक्ष्य बनाकर बमबारी की।
“तेहरान क्षेत्र में कई मिसाइल निर्माण औद्योगिक केंद्रों पर हमला किया गया। ये स्थान ईरानी रक्षा मंत्रालय के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम थे,” – IDF

परमाणु रिसर्च से जुड़ा मुख्यालय भी बना निशाना
IDF के अनुसार, हमले में SPND (ईरान का रक्षा अनुसंधान और विकास प्रोग्राम) के मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया। SPND को अमेरिका पहले ही ईरान के 2004 से पहले के गुप्त परमाणु कार्यक्रम का उत्तराधिकारी मान चुका है।
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भी इज़राइल ने इसी एजेंसी से जुड़े एक केंद्र को टारगेट किया था।
अमेरिका की चेतावनी: WMD के लिए खतरा
SPND और इससे जुड़े वैज्ञानिकों पर अमेरिका पहले ही मई में प्रतिबंध (sanctions) लगा चुका है। अमेरिकी विदेश विभाग ने उस समय कहा था कि:
“इन वैज्ञानिकों और एजेंसियों का काम सामूहिक विनाश के हथियारों (Weapons of Mass Destruction – WMD) के प्रसार में योगदान दे सकता है।”
क्या बड़ा युद्ध शुरू होने वाला है?
इज़राइली हमले के बाद क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। एक तरफ ईरान ने अभी इस हमले पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि तेहरान इस ‘सीधी चुनौती’ का करारा जवाब देने की तैयारी में है।
दूसरी ओर, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये हमले पूरी तरह से पुष्ट होते हैं, तो यह ईरान-इज़राइल के बीच खुली जंग की शुरुआत भी हो सकती है।
इज़राइल का यह ऑपरेशन केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक कड़ा संदेश है – खासकर उन तमाम देशों के लिए जो ईरान के बढ़ते सैन्य और परमाणु प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। आने वाले दिनों में इसका भू-राजनीतिक असर मध्य-पूर्व से बाहर, वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा सकता है।