यह वही समुद्री रास्ता है, जहां से दुनिया का सबसे ज्यादा कच्चा तेल सप्लाई होता है। अगर ईरान ने ऐसा किया, तो इससे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ सकता है।
क्यों है होर्मुज जलडमरूमध्य इतना जरूरी ?

होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे अहम समुद्री रास्तों में शामिल है। इसकी चौड़ाई करीब 33 किलोमीटर है और इससे हर दिन करीब 2 करोड़ बैरल तेल गुजरता है। भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अपनी जरूरत का बड़ा हिस्सा इसी रास्ते से मंगाते हैं।
क्या हुआ अब तक ?
14 जून को ईरान-इजरायल तनाव के बीच, बाजार में हलचल मची। कच्चे तेल की कीमतें करीब 3% गिर गईं और अमेरिका ने फिलहाल युद्ध में शामिल न होने का फैसला किया। मगर ईरान ने होर्मुज को बंद करने की धमकी दे दी। अगर ऐसा होता है, तो ब्रेंट क्रूड 130 डॉलर तक जा सकता है।
तेल की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा ?

फिलहाल ब्रेंट क्रूड 77 डॉलर प्रति बैरल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर युद्ध में तेजी आई या होर्मुज जलडमरूमध्य बंद हुआ, तो कच्चे तेल की कीमतें 120-130 डॉलर तक जा सकती हैं।
क्यों नहीं करता ईरान बंद?
पिछले कई सालों में ईरान ने कई बार ऐसी धमकी दी, मगर कभी अमल नहीं किया। दरअसल, होर्मुज से गुजरने वाला तेल सिर्फ बाकी दुनिया ही नहीं, ईरान की खुद की अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी है। यही वजह है कि उसने अब तक इस रास्ते को बंद नहीं किया।
क्या हैं दुनिया के दूसरे बड़े चोकप्वाइंट ?
पेट्रोलियम सप्लाई के लिहाज से दुनिया में 7 बड़े समुद्री रास्ते (चोकप्वाइंट) हैं — मलाका, होर्मुज, स्वेज नहर, बाब अल-मंदेब, डेनिश जलडमरूमध्य, तुर्की जलडमरूमध्य और पनामा नहर। इनमें सबसे बड़ा मलाका जलडमरूमध्य है। 2023 में दुनिया का 93% तेल इन रास्तों से होकर पहुंचा।
भारत पर क्या असर होगा?
भारत अपनी जरूरत का 85% कच्चा तेल और 60% प्राकृतिक गैस आयात करता है। इसमें से 40-45% तेल और 60% गैस होर्मुज जलडमरूमध्य से आती है। अगर यह रास्ता बंद हुआ, तो भारत में पेट्रोल-डीजल और गैस के दाम बढ़ सकते हैं।
क्या है विकल्प ?
सिर्फ सऊदी अरब और यूएई के पास ही ऐसी पाइपलाइनें हैं, जो होर्मुज को बाइपास कर सकती हैं। मगर उनकी क्षमता भी सीमित है। बाकी रूट या तो बहुत लंबे हैं या सुरक्षित नहीं।