शुभांशु शुक्ला 14 दिन अंतरिक्ष में पहनेंगे ग्लूकोज मॉनिटर, दुनिया पहली बार देखेगी इंसुलिन पर स्पेस का असर
एक्सिओम-4 मिशन बदल सकता है डायबिटीज के इलाज का भविष्य
अंतरिक्ष की दुनिया में एक अनोखा और ऐतिहासिक कदम उठाया जा रहा है। पहली बार, इंसुलिन और ब्लड शुगर पर अंतरिक्ष में रिसर्च होने जा रही है, जो डायबिटीज के इलाज में बड़ी क्रांति ला सकती है।
क्या है एक्सिओम-4 मिशन?
एक्सिओम-4 मिशन डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए नई उम्मीद बनकर आया है।
इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला समेत चार देशों के चार एस्ट्रोनॉट 14 दिन तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रहेंगे।
यह मिशन खास इसलिए है क्योंकि इसमें ब्लड शुगर और इंसुलिन पर माइक्रोग्रैविटी में रिसर्च की जाएगी।
अंतरिक्ष में पहली बार ब्लड शुगर मॉनिटरिंग
मिशन में सभी एस्ट्रोनॉट्स लगातार ग्लूकोज मॉनिटर पहनेंगे।
इस रिसर्च का मकसद यह समझना है कि क्या अंतरिक्ष में ब्लड शुगर लेवल में कोई खास बदलाव होता है?
अगर हां, तो इससे भविष्य में उन मरीजों के लिए खास वियरेबल टेक्नोलॉजी बनाई जा सकेगी जो लंबे समय तक बिस्तर पर होते हैं या जिनकी शारीरिक गतिविधि कम होती है।
इंसुलिन की जांच भी होगी स्पेस में
एस्ट्रोनॉट्स अलग-अलग तापमान में रखे इंसुलिन पेन भी अपने साथ ले जाएंगे।
इससे पता लगाया जाएगा कि माइक्रोग्रैविटी में इंसुलिन के अणुओं पर क्या असर पड़ता है।
यह रिसर्च इंसुलिन की स्टोरेज और स्पेस में उसके असर को लेकर बेहद अहम मानी जा रही है।
अब तक क्यों नहीं गए डायबिटीज पेशेंट स्पेस में?
- NASA अभी तक इंसुलिन लेने वाले डायबिटीज मरीजों को अंतरिक्ष यात्रा की अनुमति नहीं देता।
- इंसुलिन न लेने वाले मरीजों के लिए कोई सख्त रोक नहीं है, लेकिन अब तक कोई भी डायबिटीज पेशेंट एस्ट्रोनॉट स्पेस नहीं गया है।
यह रिसर्च इस नियम को बदलने की नई शुरुआत हो सकती है।

इस मिशन में होंगे 60 वैज्ञानिक प्रयोग
- एक्सिओम-4 मिशन के दौरान कुल 60 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट्स किए जाएंगे।
- इसमें से 7 एक्सपेरिमेंट्स भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाए गए हैं, जैसे:
- माइक्रोग्रैविटी में स्प्राउट्स का अंकुरण
- फसलों के बीजों पर रिसर्च
- एल्गी पर रेडिएशन और माइक्रोग्रैविटी का असर
यह रिसर्च क्या बदल सकती है?
भविष्य में डायबिटीज पेशेंट भी अंतरिक्ष यात्रा कर सकेंगे।
AI आधारित रियल-टाइम इंसुलिन ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी बन सकती है।
टेली-हेल्थ और दूरदराज के इलाकों में डायबिटीज के इलाज में भी यह रिसर्च मददगार होगी।
ऐसी दवाओं का विकास हो सकता है जो बैठे-बैठे वर्कआउट का असर दें और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाएं।
कई बार टली लॉन्चिंग, लेकिन उम्मीद अब भी बरकरार
एक्सिओम-4 मिशन की लॉन्चिंग अब तक 6 बार टल चुकी है:
- 29 मई, 8 जून, 10 जून, 11 जून, 12 जून और 22 जून को लॉन्चिंग शेड्यूल थी।
- लेकिन ISS के Zvezda सर्विस मॉड्यूल की तकनीकी समीक्षा के कारण लॉन्च टाल दी गई।
अब मिशन की नई लॉन्च डेट का इंतजार है।
भारतीय के लिए गर्व का मौका
शुभांशु शुक्ला ISS जाने वाले पहले भारतीय और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे।
उनसे पहले सिर्फ राकेश शर्मा ने 1984 में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
यह मिशन ना सिर्फ भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि डायबिटीज मरीजों के लिए भी नया रास्ता खोल सकता है