भोपाल ईदगाह का बुरा हाल: जिम्मेदारों की लापरवाही से खतरे में है धार्मिक विरासत
Bhopal News Bhopal idgah- राजधानी भोपाल की नवाबकालीन ईदगाह जिम्मेदारों की लापरवाहियों से अपना वजूद खोती जा रही है। निगराह की नजरंदाजी का नतीजा यह है कि इस ऐतिहासिक जगह पर अवैध और अनैतिक कामों का दौर भी तेज हो चला है। साल में दो बार अकीदत के साथ नमाज ए ईदेन अदा करने के लिए पहुंचने वाली कौम भी इस बदहाली से बेखबर है।
ऐतिहासिक ईदगाह और अन्य औकाफ संपत्तियों (Auqaf Properties) की बदहाली चिंता का विषय है। संपत्तियों का रखरखाव करने की जिम्मेदारी औकाफ-ए-अम्मा (Auqaf-e-Amma) मुतवल्ली कमेटी की है, जिसकी आमदनी करोड़ों रुपए है, लेकिन इसका चौथाई हिस्सा संपत्तियों के रखरखाव में खर्च नहीं किया जाता। वक़्फ बोर्ड (Waqf Board Bhopal) ने कौम की धार्मिक विरासतों को लावारिस छोड़ दिया है, जो पिछले पंद्रह
सालों से बदहाली का शिकार है। शहर की कुछ सामाजिक संस्थाओं ने इस संबंध में वक्फ बोर्ड को कई बार चिट्ठियां लिखी हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
खर पतवार, झाड़ झंकड़
देखरेख और रखरखाव से फिरी नजरों ने ईदगाह को अस्त व्यस्त कर रखा है। जहां इसके परिसर से शुरू होकर दीवारों पर खर पतवार खड़ी हो गई है। वहीं जगह जगह बड़ी झाड़ियां भी यहां उग आई हैं। जगह जगह से टूटी हुई फर्शियां और टूट फूट चुके दरवाजे भी इसकी पहचान में शामिल हो गए हैं। ईदगाह के लिए पहुंचने वाले कमोबेश सभी रास्तों की सड़कें भी बदहाली का शिकार हैं।
विवाद ये भी जुड़े
मप्र वक्फ बोर्ड (MP Waqf Board) के तत्कालीन अध्यक्ष मरहूम गुफरान ए आजम ने ईदगाह पार्किंग स्थान पर एक कम्यूनिटी हॉल बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। जिसको लेकर शहर भर में नाराजगी दिखाई दी थी। जिसके चलते इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था। गुफरान ए आजम के ही कार्यकाल में ईदगाह की दीवारों की ऊंचाई इस तर्क के साथ बढ़ा दिया गया था कि यहां आने वाले नमाजियों की वजह से आसपास के रहवासियों में खोफ का माहौल बन जाता है।
ओकाफ ए आम्मा के अध्यक्ष रहे मरहूम सुलतान अब्दुल अजीज के कार्यकाल में ईदगाह परिसर में एक रहवासी कमरे के निर्माण का मामला भी चर्चाओं में आया था।
अब नए बोर्ड की भी अनदेखी
बोर्ड के नवागत अध्यक्ष डॉ सनव्वर पटेल प्रदेश की वक्फ संपत्तियों को सहेजने, कानूनी मामलों में उलझी संपत्तियों को सुलझाने और वक्फ के दागदारों को सजा देने की तरफ बढ़े हैं। लेकिन ऐन मुख्यालय पर स्थित ऐतिहासिक ईदगाह की बदहाली से वे भी अंजान हैं। इसकी देखरेख और रखरखाव के लिए उचित धन प्रावधान न होने से ईदगाह की बदहाली बढ़ती जा रही है।
जल्दी ही पड़ने वाली है जरूरत
अगले महीने शुरू होने वाले माह ए रमजान के पूरा होने पर ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाएगा। शहर में सबसे पहले अदा की जाने नमाज में शामिल होने के लिए शहर की अधिकांश आबादी ईदगाह पहुंचेगी। लेकिन अवयवस्थाओं का आलम उनकी ईद की खुशियों में कड़वाहट घोल सकती है।