गौहर महल की सख्त दीवारों से तीन दिन टकराएंगी उर्दू की मखमली आवाजें
Bhopal Samachar – वह कागज पर गुलाब लिख दे तो कागज महकने लगे, वह शराब लिखे तो कागज बहकने लगे… उर्दू जुबान की मिठास और असर ही कुछ इस तरह का है। उर्दू की मिठास शहर, प्रदेश और देशभर में फैलाने के लिए मप्र संस्कृति विभाग के उर्दू अकादमी ने एक जश्न की तैयारी की है। इसके लिए जो जगह चुनी गई है, वह भी अपने साथ इतिहास की कई कहानियां समेटे हुए है। नवाबकलीन इमारत गौहर महल (Gohar Mahal) की सख्त दीवारों को तीन दिन तक नर्म, मखमली और सुकून देने वाली उर्दू से ओतप्रोत करने के पीछे मंशा यही है कि इन दीवारों के दिलों में चस्पा हो जाने वाले ये शब्द आने वाली पीढ़ियों के लिए अपना असर बरकरार रख सकें।
मप्र उर्दू अकादमी (MP Urdu Academy) के बहु आयामी आयोजन जश्न ए उर्दू की शुरुआत शुक्रवार को हुई। अकादमी निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन में उर्दू से संबंधित विभिन्न विधाओं और रंगों को समेटने की कोशिश की गई है। शुरुआती दिन कार्यक्रमों की कड़ियों में लिट्रेरी ओपन माइक,
बैतबाज़ी मुक़ाबला, व्याख्यान, महफ़िले तंज़ो मज़ाह और सूफ़ियाना महफ़िल को पिरोया गया।
सार्थक चर्चा भी, हंसी के ठहाके भी
जश्न ए उर्दू के पहले दिन हुए आयोजनों में अलग अलग रंग शामिल थे। सारगर्भित व्याख्यान में साहित्य में औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति विषय पर बात की गई। जिसमें डॉ. नौमान खान (भोपाल), प्रो. अख्तर हुसैन (दिल्ली), डॉ. साधना बलवटे (भोपाल) ने अपनी बात रखी। इसका संचालन डॉ. एहसान आज़मी ने किया। इसी दिन शाम को मुशायरे की एक विधा
महफ़िले तंज़ो मज़ाह आयोजित की गईं। जिसमें मशहूर कॉमेडियन अहसान कुरैशी और उनकी पत्नी जीनत कुरैशी ने अपने खास अंदाज से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। इस दौरान सुनील कुमार तंग (चेन्नई), प्रो. केके पटेल (भोपाल) ने भी अपने हास्य कलाम से लोगों को हंसाते हुए स्वस्थ्य संदेश दिए।