नई दिल्ली: चीन से बढ़ते सस्ते आयात के कारण घरेलू उद्योगों पर पड़ रहे दबाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस महीने छह प्रमुख चीनी उत्पादों पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की घोषणा की गई है। इन उत्पादों में शामिल हैं – पीईडीए (शाकनाशियों में इस्तेमाल), एसीटोनिट्राइल (फार्मा उद्योग में अहम), विटामिन-ए पामिटेट, अघुलनशील सल्फर, डेकोर पेपर और पोटेशियम टर्शियरी ब्यूटॉक्साइड। ये सभी रसायन और उत्पाद कई औद्योगिक क्षेत्रों की रीढ़ माने जाते हैं।
कितने का लगेगा शुल्क?
सरकार की अधिसूचना के मुताबिक, इन उत्पादों पर शुल्क पांच साल तक लागू रहेगा। यह फैसला वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई, डीजीटीआर की विस्तृत जांच और सिफारिशों के बाद लिया गया।
- पीईडीए पर शुल्क: $1305.6 से $2017.9 प्रति टन
- एसीटोनिट्राइल पर (चीन, रूस, ताइवान से आयात): $481 प्रति टन
- विटामिन-ए पामिटेट पर (चीन, EU, स्विट्जरलैंड से आयात): $20.87 प्रति किलोग्राम
- अघुलनशील सल्फर पर (चीन, जापान से आयात): $358 प्रति टन
- पोटेशियम टर्शियरी ब्यूटॉक्साइड पर (चीन, अमेरिका से आयात): $1710 प्रति टन
- डेकोर पेपर पर: $542 प्रति टन
इन रसायनों का उपयोग फार्मास्युटिकल्स, कृषि रसायनों, विशेष रसायनों और पॉलिमर उद्योगों में किया जाता है। सरकार का यह कदम घरेलू निर्माताओं को विदेशी कंपनियों की सस्ती आपूर्ति से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए उठाया गया है।
डब्ल्यूटीओ नियमों के तहत उठाया गया कदम
भारत ने ये शुल्क विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अनुरूप लगाए हैं। WTO के तहत किसी देश को तब एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की अनुमति होती है, जब यह प्रमाणित हो जाए कि आयातित वस्तु घरेलू उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है। भारत और चीन दोनों WTO के सदस्य हैं, और यह कदम वैश्विक व्यापार के संतुलन को बनाए रखने के लिहाज से अहम है।
चीन से बढ़ता व्यापार घाटा चिंता का कारण
चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है, जो सरकार की चिंता का बड़ा कारण है।
- 2024-25 में व्यापार घाटा: $99.2 बिलियन
- चीन को भारत का निर्यात: 14.5% गिरकर $14.25 बिलियन
- चीन से आयात: 11.52% बढ़कर $113.45 बिलियन