नई दिल्ली – लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बाद राजनीतिक दलों ने तीसरे चरण के चुनावी प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
इस बीच कोसी क्षेत्र की सुपौल सीट पर भी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सुपौल का महत्व इस बात से समझा जा सकता है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां आकर लोगों से कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील कर चुके हैं। इस सीट पर एक बार फिर मौजूदा सांसद रंजीत रंजन का मुकाबला दिलेश्वर कामत से है। पिछले लोकसभा चुनाव में जद (यू) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे दिलेश्वर को रंजीत रंजन ने कड़ी शिकस्त दी थी। उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रंजीत रंजन को 3,32,927 वोट मिले थे,जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी जद (यू) और राजद गठबंधन उम्मीदवार दिलेश्वर कामत को 2,73,255 मत से ही संतोष करना पड़ा था।
इसबार दिलेश्वर कामत भाजपा, जद (यू) और लोजपा वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार हैं
इसकारण चुनावी चौसर का हिसाब-किताब लगाने वाले पिछले चुनाव में दूसरे और तीसरे नंबर के वोट उन्हें मिलने की संभावना जता रहे हैं। इसका सीधा लाभ एनडीए के दावेदार कामत को मिल सकता है। हालांकि जातीय समीकरण के कारण इन आंकड़ों में जोड़-तोड़ की पूरी गुंजाइश है। इलाके के मतदाताओं के रुख पर काफी समय से नजर रखने वाले पत्रकार कुमार अमर कहते हैं कि कामत को इस बार भाजपा के वोट बैंक का तो पूरा लाभ मिलेगा, लेकिन मुस्लिम और यादव यहां जद (यू) से नाराज हैं। इन मतदाताओं का रुख हालांकि अभी तक स्पष्ट नहीं है।
पड़ोसी संसदीय क्षेत्र मधेपुरा में महागठबंधन प्रत्याशी शरद यादव के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे जन अधिकार पार्टी के नेता और रंजीत रंजन के पति राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से आरजेडी की नाराजगी का खामियाजा रंजीत रंजन को भुगतना पड़ रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी सभा में भी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के शामिल नहीं होने को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। परिसीमन के बाद सहरसा,मधेपुरा और अररिया के कुछ इलाकों को मिलाकर बने संसदीय क्षेत्र सुपौल में अब तक हुए दो चुनावों में पहली बार 2009 में जद (यू) के विश्वमोहन कुमार से रंजीत रंजन को हार का सामना करना पड़ा था।
सुपौल संसदीय क्षेत्र में कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
इनमें चार पर जद (यू), बकि एक-एक पर आरजेडी और बीजेपी का कब्जा है। इस लोकसभा चुनाव में सुपौल से 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। परंतु सीधी लड़ाई रंजीत रंजन और दिलेश्वर कामत के बीच है। एसएन महिला कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और त्रिवेणीगंज निवासी प्रोफेसर मिथिलेश सिंह कहते हैं, सुपौल में चुनाव हमेशा से जातीय वोट बैंक के आधार पर लड़ा जाता रहा है। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव का इलाके में दबदबा है और हर जाति में उन्हें चाहने वाले लोग हैं।