“Cooperative Department” सहकारिता : अदालती हवाले देकर बचाते रहा विभाग, अब भी खामोशी बरकरार, करोड़ी घोटाले के गुनाहगार पर मेहरबानी
भोपाल। सहकारिता विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले का कारण बने एक अधिकारी पीएस धनवाल पर सहकारिता विभाग मेहरबान है। अब तक अदालती कार्यवाही के हवाले से इस अधिकारी को आला अधिकारियों द्वारा बचाया जाता रहा है लेकिन न्यायालय से मामला खारिज होने के बाद भी विभाग खामोशी इख्तियार करके बैठा है।
मध्यप्रदेश की सबसे आर्थिक रुप से सुदढ बैक को सहकारिता विभाग ने मध्यप्रदेश सहकारी बैंक मर्यादित के ऐसे भष्ट्राचार में डुबे अधिकारी के हाथो मे दी है, जिससे खरगोन के सदस्य किसान/बचत खाताधारक के साथ ही बैंक के कर्मचारियों/अधिकारियों में भय का वातावरण है। पीएस धनवाल मध्यप्रदेश की जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों में जहां भी पदस्थ रहे, वहां इन्होंने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड तोड़ने के साथ ही अपनी बैंक मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैक मर्यादित के वरिष्ठ अधिकारियो से तक नहीं डरे।
हिटलरशाही के हालात
विभागीय सूत्रों का कहना है कि
पीएस धनवाल की कार्यशैली हिटलर की तानाशाही से काफी मिलती जुलती है। जिसके कारण वरिष्ठ अधिकारी भी इनसे काफी परेशान रहते हैं। इसी कारण वे भी इनके निवास भोपाल से इन्हें दूर ही रखना चाहते हैं। अपेक्स बैक के आसपास के जिला बैंकों में इनको पदस्थ नहीं किया जाता है। सूत्रों का कहना है कि धनवाल जिस भी जिला बैंक में जाते हैं, वहां के ईमानदार, तगड़े राजनितिक वजूद रखने वाले कर्मचारियो को सेवा नियम के जाल मे फंसाकर निलंबित/ पृथक कर अपने भष्ट्राचार का खेल खेलते हैं। जिससे शिकायत या राजनीतिक दबाब अपेक्स बैंक के अधिकारियों तक आये और वे उनका ट्रांसफर भोपाल के आसपास कर दे।
भ्रष्टाचार की लंबी गाथा
पीएस धनवाल अपने सेवाकाल में
जिला बैंक रायसेन, रीवा, बालाघाट में पदस्थ रहे हैं। वहां कृषक सुरक्षा पत्रिका आर्थिक अनियमितता में दोषी पाए जाने पर इन्हें निलंबित किया गया। सूत्र बताते हैं कि यह जहां-जहां भी रहे हैं, वहां इनके भ्रष्टाचार के कारनामे उजागर हुए हैं। लेकिन उन सभी से बचकर निकालने में उनकी मदद सहकारिता विभाग ने की है और कहीं कहीं सहकारिता विभाग के अधिकारियो से गठजोड नहीं हो पाने से कई संयुक्त आयुक्त/उपायुक्त के निर्णय में धनवाल को दोषी भी सिध्द कर दिया गया है। कई आर्थिक अनियमितता में न्यायालय में उन पर वाद विचाराधीन है कई न्यायालय मे उनकी निरंतर पेशी होती रहती है।
कई विभागीय जांच मे वे दोषी पाए जाने पर पीएस धनवाल को वेतन वृध्दि रोकने तक का दण्ड दिया जा चुका है।
कार्यवाही का इंतजार
पीएस धनवाल ने अपने खिलाफ चल रहे मामलों से राहत पाने के लिए अदालत में अर्जी लगाई थी लेकिन न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। इसके बाद भी सहकारिता विभाग उनको बचाने में लगा हुआ है। मामले को लेकर विभागीय मंत्री को भी शिकायत पहुंची हैं। जिसको लेकर उन्होंने गंभीर रुख अपनाया है। संभावना व्यक्त की जा रही है कि जल्दी ही धनवाल के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी हो सकते हैं।