Deepfake Video:मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल कर राजनीतिक दलों द्वारा प्रचार प्रसार करने की कोशिश की गई।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का वीडियो वायरल किया गया था।
दोनों ही वीडियोओं में इन नेताओं को ऐसे बयान देते हुए दिखाया गया था, जो उन्होंने कभी नहीं दिए थे।
इस मामले में इंदौर क्राइम ब्रांच ने 4 एफआईआर दर्ज की हैं। साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक, डीपफेक वीडियो बनाने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक में कोडर और डिकोडर की मदद ली जाती है। डिकोडर उस व्यक्ति के चेहरे और हावभाव को परखता है, जिसका वीडियो बनाना है। इसके बाद फर्जी चेहरे पर इसे लगा दिया जाता है।
डीपफेक वीडियो एक गंभीर समस्या है, जिससे लोगों को धोखा देने और उन्हें गुमराह करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तकनीक के विकास के साथ ही इसका इस्तेमाल बढ़ने की आशंका है। इसलिए लोगों को इस बारे में जागरूक होना चाहिए और किसी भी वीडियो को बिना जांच किए उसे शेयर नहीं करना चाहिए।
डीपफेक वीडियो की पहचान करने के लिए कुछ तरीके हैं:
वीडियो की गुणवत्ता पर ध्यान दें। अगर वीडियो की गुणवत्ता खराब है, तो हो सकता है कि वह डीपफेक हो।
वीडियो के कंटेंट पर ध्यान दें। अगर वीडियो में कोई ऐसा कंटेंट है जो उस व्यक्ति ने पहले कभी नहीं कहा है, तो हो सकता है कि वह डीपफेक हो।
वीडियो के बैकग्राउंड पर ध्यान दें। अगर वीडियो का बैकग्राउंड असामान्य है, तो हो सकता है कि वह डीपफेक हो।
अगर आपको लगता है कि कोई वीडियो डीपफेक हो सकता है, तो उस वीडियो को शेयर करने से पहले किसी साइबर एक्सपर्ट से सलाह लें।