भोपाल – भोपाल लोकसभा सीट पर देश भर में सुर्खियां बटोर रही है। इसकी वजह है इस महत्वपूर्ण सीट पर अभी तक भाजपा द्वारा प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं करी है।
भाजपा को कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को चुनौती देने वाला चेहरा ढूंढने में पसीना छूट रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम सुर्खियों में आने के बाद भी प्रत्याशी को लेकर पार्टी में असमंजस बना हुआ है। पार्टी ने अब तक 21 सीटें घोषित की है। वहीं भोपाल-इंदौर, सागर, खजुराहो जैसी आठ सीटों पर पेंच फसा हुआ है। भाजपा भोपाल से ऐसे प्रत्याशी की तलाश में है, जो दिग्विजय को पटकनी दे सके।
इसकी वजह ये है कि भाजपा से ज्यादा ये सीट राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है।
संघ की आलोचना कर दिग्विजय ने हमेशा उसे कठघरे में खड़ा किया है। भाजपा के सामने भोपाल सीट के लिए प्रत्याशी का चयन करना मुश्किल होता जा रहा है। पहले पार्टी कह रही थी कि योजनाबद्ध कारणों से पार्टी टिकट घोषित करने में विलंब कर रही है पर यही हाल इंदौर सहित अन्य सीटों पर भी है।
भोपाल से जिन नामों की चर्चा थी, उनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम खारिज हो गया है। साध्वी प्रज्ञा भारती का स्वास्थ्य चुनाव लड़ने लायक नहीं बताया जा रहा है।
ऐसे हालात में पार्टी के पास सीमित विकल्प बचे हैं। उनमें उमा भारती और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान या आलोक संजर पर ही दांव लगाने निर्णय हो सकता है। प्रदेश संगठन और स्थानीय नेताओं को उमा भारती का नाम आसानी से स्वीकार होगा, इसकी उम्मीद कम ही है। यही कारण है कि उमा के सवाल पर शिवराज ने खुलकर तो कुछ नहीं कहा, पर इतना ही बोले कि सभी नेताओं का स्वागत है।
इधर, पार्टी सूत्रों का कहना है कि भारती ने खुद के बजाय शैलेंद्र शर्मा या भगवानदास सबनानी को टिकट दिए जाने की सिफारिश की है। फिलहाल पार्टी नेताओं की मानें तो उमा या शिवराज को ही वे दिग्विजय को टक्कर देने वाला प्रत्याशी मान रहे हैं। पार्टी नेताओं की सोच है कि शिवराज की छवि हिंदूवादी तो नहीं उदार राजनेता की है। इस कारण उन्हें सभी वर्गों का समर्थन मिल सकता है। कांग्रेस सरकार