“Electoral Bond” यह चुनावी आंकड़े 12 अप्रैल 2019 से लेकर 11 जनवरी 2024 के बीच के है। इस आंकड़े के मुताबिक अलग अलग कंपनियों और व्यक्तियों ने 1000 रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक के बॉन्ड की खरीददारी की है।
इस डाटा से यह भी पता चला है कि कई बड़ी कंपनियों ने भी चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। इनमें टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडानी समूह, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं।
चुनाव आयोग ने कहा है कि यह डाटा चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए जारी किया गया है। यह डाटा आम लोगों को यह जानने में मदद करेगा कि राजनीतिक दलों को कौन फंडिंग कर रहा है।
यह डाटा जारी होने के बाद राजनीतिक दलों पर कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि भाजपा को बड़े कॉर्पोरेट घरानों से भारी चंदा मिल रहा है। भाजपा ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा है कि सभी राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा मिलता है।
यह डाटा चुनावी चंदे को लेकर बहस को और तेज कर देगा। यह बहस इस बात पर केंद्रित होगी कि क्या चुनावी बॉन्ड चुनावी चंदे में पारदर्शिता लाने में सफल रहे हैं या नहीं।