Ghalib 155th Death Anniversary- आमतौर पर किसी पुण्यतिथि या वफात के दिन को उस संबंधित व्यक्ति की याद, उसके व्यक्तित्व और किरदार पर बात और श्रद्धा सुमन अर्पित करने के साथ मनाया जाता है। लेकिन राजधानी भोपाल में शायर ए आजम मिर्जा गालिब की 155वी पुण्यतिथि पर ये प्रथा तोड़ दी गई। गालिब के चाहतमंद यहां जुटे और उन्होंने अपने महबूब शायर को जश्न के साथ गजलों की खिराज पेश की।
आयोजन संस्था मिर्जा गालिब गजल शिक्षण संस्थान ने गुरुवार को ये आयोजन किया। प्रदेशभर के नामवर शायरों की एक बड़ी जमात अपने कलाम के साथ यहां मौजूद थी। जबकि बड़ी तादाद में गालिब के दीवाने भी गजल गंगा में डुबकी लगाने को कार्यक्रम में पहुंचे थे।
मेहमानों ने कहा, ये नायाब आयोजन
कार्यक्रम में मप्र वक्फ बोर्ड चैयरमेन डॉ सनवर पटेल और
संस्कृति विभाग के सलाहकार डॉ सुधीर आजाद बतौर मेहमान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि शहर भोपाल में गालिब को याद किए जाने के ये यादगार लम्हें बनाए गए हैं। ये शुरुआत आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा की दलील बनेगी।
शायरों का मजमा, श्रोताओं में भी होड़
याद ए गालिब आयोजन के दौरान कई शायरों ने अपने कलाम पेश किए। कार्यक्रम की निज़ामत डॉ महताब आलम, डॉ अंजुम बाराबंकवी, राज़ नवादवी ने की। उस्ताद शायर गालिब को ज़फर सहबाई, डॉ अली अब्बास उम्मीद, इक़बाल मसूद, शाहिद सागरी, फ़ारूक़ अंजुम, डॉ यूनुस फ़रहत, ज़िया फ़ारूकी, डॉ नायाब हसन, अज़ीज़ रौशन,
आरिफ़ अली आरिफ़, बद्र वास्ती, रमेश नन्द, हुमा कानपुरी, फ़रमान ज़ियाई, साजिद प्रेमी, डॉ एहसान आज़मी, शोएब अली ख़ान, डॉ नसीम ख़ान, भवेश दिलशाद, शायान कुरैशी, डॉ मुबारक शाहीन, ज़ाहिद भोपाली,
वलीउल्लाह वली, सिराज ख़ान सिराज, सलीम सरमद, मजीद उल्लाह ख़ान, हबीब सर्वर, अज़ीम असर, मनीष बादल, सुनील कुमार त्रिपाठी, फेंकू भोपाली, शमीम हयात आदि ने गजलों की खिराज पेश की।