इंदौर: 25 जून को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इंदौर पुलिस कमिश्नरेट में देश का पहला सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र का उद्घाटन किया। यह केंद्र विवादों को सुलझाने के साथ-साथ समाज में आपसी विश्वास और मानवीय रिश्तों को मजबूत करने का भी काम करेगा।
मध्यस्थता को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि यह केवल विवादों का समाधान ही नहीं है, बल्कि यह समाज में आपसी आत्मीयता और भरोसे का वातावरण बनाती है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों में इसे ‘मीडिएशन’ कहा जाता है, जबकि भारत में सदियों से पंच-सरपंच इसी तरह विवाद सुलझाते आए हैं। मध्यप्रदेश सरकार गांवों तक इस मध्यस्थता की सोच पहुंचाने के लिए भी काम कर रही है ताकि वहां भी सौहार्द्रपूर्ण माहौल बन सके।
यह सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र इंदौर पुलिस कमिश्नरेट और उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति के संयुक्त प्रयास से स्थापित किया गया है। अब तक 125 प्रशिक्षित मध्यस्थों ने यहां 5000 से अधिक मामलों का सफल समाधान किया है। इस पहल को प्रशासनिक न्यायाधीश विवेक रूसिया और कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने भी सराहा।
उन्होंने बताया कि इंदौर में 22 मध्यस्थता केंद्र हैं, जहां विभिन्न सामाजिक समूहों के 125 मध्यस्थ सक्रिय हैं। ये केंद्र परिवारिक विवाद, संपत्ति विवाद, पड़ोसी समस्या समेत कई छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने में मदद करते हैं जिससे कोर्टों पर दबाव कम होता है।
मुख्यमंत्री ने इंदौर पुलिस कमिश्नरेट, जिला प्रशासन और विधिक सेवा प्राधिकरण की इस सराहनीय पहल को बधाई दी और इसे समाज में शांति और मेलजोल बढ़ाने वाला एक महत्वपूर्ण मॉडल बताया। उन्होंने कहा कि परिवारिक रिश्तों की मजबूती से ही सामाजिक ताने-बाने का सुचारू संचालन संभव है।
यह केंद्र एक ऐसा मॉडल है जो विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने और समाज में सद्भाव बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम साबित होगा।
मुख्य बातें:
- इंदौर में देश का पहला सामुदायिक मध्यस्थता केंद्र शुरू
- 125 मध्यस्थों ने अब तक 5000+ मामले सुलझाए
- मध्यस्थता से विवादों के साथ-साथ सामाजिक रिश्ते मजबूत होते हैं
- मुख्यमंत्री ने इस पहल को समाज में शांति का मॉडल बताया
- मध्यप्रदेश सरकार इस सोच को गांवों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है
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