अगर ये जंग लंबी चली तो इसमें अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश भी शामिल हो सकते हैं। पहले ही रूस-यूक्रेन युद्ध ने दुनिया को दो खेमों में बांट दिया है। अब इस जंग ने वैश्विक सप्लाई चेन और तेल आपूर्ति पर भी खतरा बढ़ा दिया है, जो भारत के लिए बड़ी चिंता बन सकती है।
भारत के लिए क्यों है खतरा ?

भारत के ईरान और इजरायल दोनों से अच्छे रिश्ते हैं। भारत, ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच बनाना चाहता है। वहीं, इजरायल से भारत का बड़ा रक्षा सहयोग है। ऐसे में दोनों में जंग भारत की रणनीति और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए संकट बन सकती है।
होर्मुज जलडमरूमध्य भी इसी क्षेत्र में है, जहां से दुनिया का 20% कच्चा तेल गुजरता है। अगर यह रास्ता बंद हुआ तो भारत का 70% से ज्यादा तेल आयात प्रभावित होगा। इससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू सकती हैं और महंगाई बढ़ने का खतरा होगा।
तेल की कीमतें और महंगाई का खतरा
जेपी मॉर्गन जैसी कंपनियों का कहना है कि अगर जंग तेज होती है तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। इससे भारत में महंगाई भी तेजी से बढ़ेगी और आम आदमी की जेब पर बड़ा असर पड़ेगा।
तेल महंगा होने से ट्रांसपोर्ट, बिजली, गैस और खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाएंगी। साथ ही, कंपनियों का खर्च भी बढ़ेगा और देश की अर्थव्यवस्था पर झटका लगेगा।
ईरान-इजरायल की सैन्य ताकत

इजरायल के पास एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम और लेटेस्ट फाइटर जेट्स हैं। वहीं, ईरान की वायुसेना पुरानी है लेकिन मिसाइल और ड्रोन हमलों में उसकी ताकत ज्यादा है। साथ ही ईरान, हिज्बुल्लाह और हाउती जैसे प्रॉक्सी ग्रुप्स के जरिए भी जंग छेड़ सकता है।
इजरायल को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का साथ है जबकि ईरान के साथ रूस और चीन जैसे देश खड़े हो सकते हैं।