स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय संस्कृति की गहरी समझ देने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं। ‘जीवन का विज्ञान’ नाम से तैयार इस नए कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान और परंपराओं की शिक्षा दी जाएगी, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से मजबूती से जुड़ सकेंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय सांस्कृति की जड़ों से जोड़ा जाएगा। छात्रों को जीवन का विज्ञान नाम से तैयार कार्यक्रम के तहत भारतीय ज्ञान की शिक्षा दी जाएगी। प्राचीन विज्ञान उन्हें डिजिटल डिटॉक्स सिखाएगा। दिल्ली सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप जीवन का विज्ञान पहल शुरू कर रही है। इसमें उन्हें पंच कोष और पंच तंत्र से लेकर भावनात्मक कल्याण की जानकारी मिलेगी।
Education: स्कूलों में शुरू होगा ‘जीवन का विज्ञान’ कार्यक्रम, भारतीय संस्कृति से जुड़ेगा हर छात्र
स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय संस्कृति की गहरी समझ देने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं। ‘जीवन का विज्ञान’ नाम से तैयार इस नए कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान और परंपराओं की शिक्षा दी जाएगी, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से मजबूती से जुड़ सकेंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय सांस्कृति की जड़ों से जोड़ा जाएगा। छात्रों…
स्कूलों में शुरू होगा ‘जीवन का विज्ञान’ कार्यक्रम, भारतीय संस्कृति से जुड़ेगा हर छात्र
स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय संस्कृति की गहरी समझ देने के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं। ‘जीवन का विज्ञान’ नाम से तैयार इस नए कार्यक्रम के तहत विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान और परंपराओं की शिक्षा दी जाएगी, जिससे वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से मजबूती से जुड़ सकेंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अब छात्रों को भारतीय सांस्कृति की जड़ों से जोड़ा जाएगा। छात्रों को जीवन का विज्ञान नाम से तैयार कार्यक्रम के तहत भारतीय ज्ञान की शिक्षा दी जाएगी। प्राचीन विज्ञान उन्हें डिजिटल डिटॉक्स सिखाएगा। दिल्ली सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप जीवन का विज्ञान पहल शुरू कर रही है। इसमें उन्हें पंच कोष और पंच तंत्र से लेकर भावनात्मक कल्याण की जानकारी मिलेगी।

एक अधिकारी के अनुसार पाठ्यक्रम का यह हिस्सा छात्रों को उनके व्यक्तित्व को गहराई से समझने और दिमाग को पूरी तरह से विकसित करने में मदद करेगा। दूसरा मॉड्यूल पंच तंत्र पर केंद्रित है। जो भारतीय दर्शन और आयुर्वेद में पांच तत्वों को बताएगा। अधिकारी ने कहा, छात्र जीवन को बनाए रखने में इन तत्वों की भूमिका और उन्हें संरक्षित करने के महत्व के बारे में जानेंगे। कार्यक्रम का तीसरा भाग डिजिटल डिटॉक्स की आवश्यकता को संबोधित करता है। छात्रों को स्क्रीन समय को कम करने और कॉपीराइट उल्लंघन और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे साइबर मुद्दों के बारे में जागरूक करेगा।
उन्होंने कहा, अमेरिका और सिंगापुर के वैश्विक ढांचे से प्रेरित यह खंड छात्रों को आत्म जागरूकता, भावनात्मक विनियमन, लचीलापन और मुकाबला करने की रणनीतियों जैसी अवधारणाओं से परिचित कराता है। कार्यक्रम में वास्तविक दुनिया की भागीदारी भी शामिल होगी। उदाहरण के लिए छात्र यमुना सफाई अभियान में हिस्सा लेंगे, जिससे वे पर्यावरणीय स्थिरता में सीधे योगदान दे सकेंगे। उन्हे लैंगिक समानता और नारीत्व के प्रति सम्मान जैसे विषयों से भी परिचित कराया जाएगा। कठपुतली थियेटर, कठपुतली रोल प्ले, पुरानी भारतीय वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग और फील्ड विजिट सहित विभिन्न रचनात्मक गतिविधियों का उपयोग किया जाएगा।
प्रत्येक सत्र महीने में दो बार होंगे। सत्र एक घंटे तक चलेगा, इसकी शुरुआत एक संवादात्मक चर्चा से होगी, जहां छात्रों को शिक्षकों के साथ अपने विचारों और अनुभवों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके बाद पांच मिनट की एक छोटी लयबद्ध गतिविधि होगी। जहां छात्र संगीत के साथ नृत्य करके तनाव मुक्त हो सकते हैं। योग या ध्यान का शांत सत्र छात्रों को समापन से पहले चिंतन करने और खुद को केंद्रित करने में मदद करेगा।