मध्य प्रदेश के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री आरिफ अकील (Arif Aqueel) का सोमवार सुबह निधन हो गया। लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे अकील, जिनकी हालत रविवार को गंभीर हो गई थी, को भोपाल के अपोलो अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया था। सुबह लगभग साढ़े पांच बजे उनके निधन की पुष्टि कर दी गई, जिससे राजधानी भोपाल में शोक की लहर दौड़ गई।
अकील ने पिछले चार दशकों में भोपाल की उत्तर विधानसभा में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक छवि बनाई। वे कांग्रेस शासन में दो बार मंत्री बने और अल्पसंख्यक कल्याण, जेल और खाद्य जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी निभाई। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत छात्र राजनीति से हुई थी, और उन्होंने छात्र संघ चुनावों में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की।
अकील का विधानसभा में प्रभाव इतना गहरा था कि भाजपा के कई प्रभावशाली नेता भी उन्हें पराजित करने में असमर्थ रहे। भाजपा शासनकाल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर विधानसभा को गोद लेकर अकील की लोकप्रियता को चुनौती देने का प्रयास किया, लेकिन अकील का राजनीतिक आधार अडिग रहा।
आरिफ अकील की शिक्षा की बात करें तो वे मध्य प्रदेश के सबसे शिक्षित विधायकों में शामिल थे। उनके पास कई स्नातकोत्तर डिग्रियां और विधि की शिक्षा थी, जो उनके व्यापक ज्ञान और अनुभव का प्रमाण थीं। अकील का निधन कांग्रेस पार्टी और मध्य प्रदेश की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है।
उनके जनाज़े की नमाज 3:30 बजे बाल बिहार रोड पर अदा की जाएगी और उन्हें बड़े बाग़ वाले कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-ख़ाक किया जाएगा।