महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार, 17 जून 2025 को एक बड़ा फैसला लेते हुए स्कूलों में हिंदी भाषा पढ़ाने के नियम में बदलाव कर दिया है। सरकार ने कहा है कि अब हिंदी को ‘आम तौर पर’ तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा, लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा।
अब हिंदी पढ़ना होगा या नहीं? सरकार का नया आदेश
सरकार ने अपने संशोधित आदेश (Government Resolution – GR) में साफ किया है कि अगर किसी स्कूल में कम से कम 20 छात्र किसी अन्य भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें हिंदी पढ़ने की बाध्यता नहीं होगी। ऐसे में स्कूल को उस भाषा का शिक्षक उपलब्ध कराना होगा या जरूरत पड़ने पर ऑनलाइन शिक्षा दी जाएगी।

मराठी समर्थकों का आरोप: सरकार का ‘बैकडोर एंट्री’
कुछ मराठी संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि पहले हिंदी थोपने के फैसले से पीछे हटने के बाद अब सरकार ‘पीछे के दरवाजे’ से वही नीति लागू करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने भी सरकार की आलोचना करते हुए इसे ‘मराठी अस्मिता के साथ धोखा’ बताया है।
राज ठाकरे का कड़ा विरोध: हिंदी थोपने की जरूरत क्यों?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने कहा कि हिंदी कुछ राज्यों की भाषा हो सकती है, लेकिन इसे महाराष्ट्र पर थोपना गलत है। उन्होंने राज्य के स्कूलों से अपील की है कि वे सरकार के ‘भाषाई विभाजन’ के छिपे हुए एजेंडे को नाकाम करें।
फडणवीस ने दी सफाई: हिंदी जरूरी नहीं, सिर्फ विकल्प
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हिंदी को अनिवार्य करने का पुराना नियम अब खत्म कर दिया गया है। अब कोई भी भारतीय भाषा तीसरी भाषा के रूप में चुनी जा सकती है। अगर कम से कम 20 छात्र किसी अन्य भाषा में पढ़ना चाहते हैं, तो वह सुविधा दी जाएगी।
तीन-भाषा फार्मूला: क्या है नीति?
फडणवीस ने बताया कि यह बदलाव नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत किया गया है, जिसमें मातृभाषा को प्राथमिकता दी गई है और कुल तीन भाषाएं पढ़ाई जानी चाहिए। एक भारतीय भाषा का चयन अनिवार्य है और अधिकतर छात्र अंग्रेजी भी चुनते हैं।
हिंदी को क्यों चुना गया था?
फडणवीस ने बताया कि पहले हिंदी इसलिए प्रस्तावित की गई थी क्योंकि हिंदी शिक्षक आसानी से उपलब्ध हैं। लेकिन अब यह बाध्यता हटा दी गई है।
“मराठी वैश्विक भाषा बन रही है”
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब महाराष्ट्र में इंजीनियरिंग, डॉक्टरी और MBA की पढ़ाई मराठी में शुरू हो चुकी है। मराठी अब सिर्फ बोलचाल की नहीं, बल्कि ज्ञान और अर्थशास्त्र की भी भाषा बन रही है। उन्होंने कहा कि भाषाई विवाद करना बेकार है, क्योंकि हर भारतीय भाषा सीखना फायदे का सौदा है।
राज ठाकरे से बात हुई: फडणवीस
फडणवीस ने कहा कि उन्होंने राज ठाकरे से बात की है और समझाने की कोशिश की है कि तीन-भाषा फार्मूला पूरे देश में लागू है। सिर्फ तमिलनाडु ने इसका विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
“तीसरी भाषा सीखने में क्या नुकसान?”
फडणवीस ने कहा, “तीसरी भाषा सीखने में क्या हानि है? नई शिक्षा नीति देशभर के विशेषज्ञों की सलाह के बाद बनी है, जिसमें बच्चों की मानसिक क्षमताओं को विकसित करने पर खास ध्यान दिया गया है।”