पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने सोमवार को संदेशखाली हिंसा पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि दोषियों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। बनर्जी का यह बयान राज्यपाल आनंद बोस के बाद आया है, जिन्होंने अपना केरल दौरा बीच में ही समाप्त कर सोमवार को उत्तर 24 परगना जिले के इलाकों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया।
राज्यपाल ने उन वांछित महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया जिनकी कलाईयाँ बंधी हुई थीं।
बोस ने संवाददाताओं से कहा,मैंने जो देखा वो भयावह, स्तब्ध करने वाला और मेरी अंतरात्मा को हिला देने वाला था. मैंने वो कुछ देखा जो कभी नहीं देखना चाहिए था. मैंने कई चीजें सुनी जो कभी नहीं सुननी चाहिए थीं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की भूमि पर यह सब हुआ.’’
राज्यपाल ने कहा कि वह संविधान के प्रावधानों के तहत कानून के अनुसार इससे लड़ेंगे. उन्होंने स्थानीय महिलाओं से कहा, ‘‘चिंता मत कीजिए. आपको न्याय जरूर मिलेगा।’’इनमें से कई महिलाएं अपनी पहचान छिपाने के लिए चेहरा ढंककर उप राज्यपाल से मिलने आई थीं. महिलाओं को कहते सुना गया, ‘‘हम अपने लिए शांति और सुरक्षा चाहते हैं. हम और यह प्रताड़ना नहीं झेल सकते. बोस ने महिलाओं से मिलने से पहले मौजूदा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और हालात का जायजा लेकर उन्हें तत्काल कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया.
बोस ने संदेशखालि के हालात पर राज्य सरकार से व्यापक रिपोर्ट मांगी है पांच जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों पर भीड़ के हमले के बाद संदेशखालि चर्चा में आया। अधिकारी कथित राशन वितरण घोटाले के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस नेता शाजहां शेख के परिसर की तलाशी लेने के लिए वहां गए थे, जब भीड़ ने उनपर हमला किया था. तभी से शेख लापता है. संदेशखालि में महिलाओं ने आरोप लगाया है कि शाजहां शेख और उसका “गिरोह” उनका यौन उत्पीड़न कर रहा है, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि संदेशखालि में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया हैl