महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन (Maratha reservation movement ) फिलहाल स्थगित हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी है। उन्होंने इस बाबत फैसला लेने के लिए सरकार को दो जनवरी तक दो महीने का समय दिया है।
अल्टीमेटम देते हुए जारांगे ने कहा कि अगर सरकार मराठा आरक्षण पर तय समय में फैसला लेने में विफल रहती है तो हम 2 जनवरी से मुंबई को ब्लॉक कर देंगे।
मनोज ने अपनी भूख हड़ताल हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस संदीप शिंदे, एम जी गायकवाड़ और अन्य के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात के बाद खत्म की। उन्होंने सरकार से अपील की कि मराठा समुदाय को आरक्षण आवंटित होने तक भर्ती न की जाए।
मनोज ने कहा, “हम आपको आखिरी अल्टीमेटम (Maharashtra government) दे रहे हैं। मराठवाड़ा का प्रश्न हल हो गया, लेकिन हम सभी मराठा समुदाय के लिए लड़ रहे हैं। हमने 40 साल तक संघर्ष किया है और इंतजार किया है। जब तक सरकार हमें आरक्षण नहीं देती, मैं रुकने वाला नहीं हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कम-से-कम दो महीने चाहिए क्योंकि उन्हें पूरे महाराष्ट्र में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “अगर वे अपना वादा तोड़ते हैं, तो हम उन्हें हर जगह रोक देंगे। हम मुंबई की ओर चलेंगे। हम उनके सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक काम बंद कर देंगे। हम सब्जियां, दूध और अन्य चीजें जैसी कृषि उपज उपलब्ध नहीं कराएंगे।”
गुरुवार को सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ चर्चा के दौरान भी मनोज जारांगे ने पूरे महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की अपनी मांग दोहराई। उन्होंने पूर्ण आरक्षण की मांग की। जारांगे ने मांग की कि सरकार को मराठा समुदाय के आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के सर्वेक्षण के लिए टीमें तैनात करनी चाहिए।
आंदोलन के स्थगित होने के बाद क्या होगा?
मराठा आरक्षण आंदोलन के स्थगित होने के बाद, सरकार को दो महीने का समय है कि वह इस मुद्दे पर एक ठोस फैसला ले। अगर सरकार इस समय सीमा के भीतर फैसला नहीं लेती है, तो मनोज जारांगे पाटिल ने चेतावनी दी है कि वह और उनके समर्थक मुंबई को ब्लॉक करेंगे।
सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। उसे मराठा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए एक ऐसा फैसला लेना होगा जो अन्य समुदायों के हितों का भी हनन न करे।