अब यूनिवर्सिटी जाने की जरूरत नहीं
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राज्य की पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना होने जा रही है। इस यूनिवर्सिटी में घर बैठे ऑनलाइन क्लासेस की सुविधा मिलेगी। छात्र देश के किसी भी कोने से एडमिशन लेकर पढ़ाई कर सकेंगे।
कोर्स की अवधि तय नहीं, छात्र को मिलेगी आजादी
यह यूनिवर्सिटी छात्रों को अपने हिसाब से कोर्स पूरा करने की पूर्ण स्वतंत्रता देगी।
- अगर कोई छात्र 4 साल का कोर्स जल्दी पूरा करना चाहता है, तो कर सकता है।
- यदि कोई छात्र इसे 5 साल में करना चाहता है, तो वह भी संभव है।
ऑनलाइन और डिस्टेंस लर्निंग का आधुनिक मॉडल
डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑनलाइन लर्निंग और ओपन डिस्टेंस एजुकेशन का मिश्रण होगी। इसमें शारीरिक रूप से उपस्थित होने की जरूरत नहीं होगी — सभी कक्षाएं वर्चुअल माध्यम से होंगी।
मल्टीपल एंट्री-एग्जिट की सुविधा
अगर छात्र किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छोड़ते हैं, तो उनका साल बर्बाद नहीं होगा। वे बाद में दोबारा जुड़कर अपनी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं। इसके साथ ही वे देशभर के अन्य संस्थानों से कोर्स और क्रेडिट भी ट्रांसफर कर सकेंगे।
जॉब-फोकस्ड कोर्सेस होंगे
यह यूनिवर्सिटी रोजगार को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम चलाएगी, जिससे छात्रों को सीधे इंडस्ट्री से जुड़ने का मौका मिलेगा।
एडवांस टेक्नोलॉजी आधारित विषयों पर जोर
यहां पर कुछ अत्याधुनिक विषयों पर आधारित कोर्स कराए जाएंगे:
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
- मशीन लर्निंग
- ब्लॉकचेन
- बायो-कम्प्यूटिंग
- डाटा एनालिटिक्स और रोबोटिक्स
- फाइनेंस, कंप्यूटर साइंस, एनालिटिकल मैथ्स
हब एंड स्पोक मॉडल पर काम
यह यूनिवर्सिटी हब एंड स्पोक मॉडल पर चलेगी, जिसमें मुख्य केंद्र से जुड़े कई उप-केंद्र होंगे। इससे छात्रों को विभिन्न स्थानों से डिजिटल सुविधाएं मिल सकेंगी।
करीब 100 करोड़ रुपये की लागत
इस डिजिटल यूनिवर्सिटी के निर्माण पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि इसे देश की शीर्ष यूनिवर्सिटियों के सहयोग से विकसित किया जाएगा।
मिशन: डिजिटल शिक्षा के जरिए ज्ञान क्रांति
इस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है विज्ञान, तकनीक और मानविकी के क्षेत्रों में डिजिटल शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देना। इससे मध्य प्रदेश को डिजिटल शिक्षा का हब बनाने का सपना साकार होगा।