भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में नेतृत्व बदलाव के बाद नए पीसीसी चीफ ने संकेत दिए थे कि वे कमलनाथ की पुरानी टीम के साथ ही आगे बढ़ेंगे। लेकिन अब कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में नई ऊर्जा भरने के लिए कुछ बदलाव किए जाएंगे। इस कड़ी में पहली बारी ऐसे निष्क्रिय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की आएगी, जो लंबे समय से पद बैठे हुए हैं।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी (PCC Chief Jitu Patwari) के दिल्ली में राहुल गांधी और पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से मिलने के बाद माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में जहां भाजपा अधिकांश नगर निगम, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, 163 विधानसभा और लोकसभा की 29 में से 28 सीटों पर काबिज है, वहां लंबे समय से जमे पदाधिकारी पद लेकर घर बैठे हैं। उन्हें हटाकर सक्रिय कार्यकर्ताओं को पद दिया जाना जरूरी है। युवा नेता को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद माना यही जा रहा है, कि परंपरागत कांग्रेस का नया स्वरूप जल्द सामने आएगा। क्योंकि, जिस तरह से आलाकमान ने दोनों प्रमुख पदों प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पद पर नए चेहरों को तरजीह दी, उससे कई बदलाव भी होंगे। कई जिला अध्यक्षों की रवानगी भी तय मानी जा रही है।
हाई कमान ने जीतू को दिया फ्री हैंड
नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को पार्टी हाईकमान ने फ्री हैंड दिया है। जानकारी मिली है कि वे प्रदेश कांग्रेस के पदाधिकारियों में बड़ा बदलाव करेंगे। अध्यक्ष का पद ग्रहण करने से पहले वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी समेत कई बड़े नेताओं से मिले थे। उन्हें संगठन में जरुरी बदलाव के लिए फ्री हेंड दिए जाने की जानकारी है, पर उनसे एकदम बदलाव नहीं करने को कहा गया है।
प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए जीतू पटवारी को सभी फैसलों के लिए फ्री हैंड दिया गया है। उनकी अब अगली तैयारी लोकसभा चुनाव को लेकर होगी जिसमें पांच महीने से कम समय बचा है। लोकसभा चुनाव के लिए अप्रैल या मई में आचार संहिता लागू हो सकती है। चुनाव से पहले पार्टी को नई मजबूती देना जीतू पटवारी के लिए बड़ी चुनौती साबित होगा। बताया जा रहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अभी बड़े बदलाव के मूड में नहीं हैं। लेकिन, यह माना जा रहा है कि कांग्रेस की मजबूती के लिए बड़ी सर्जरी जरूरी है।
बदलाव से हो रहीं उम्मीदें
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 3 राज्यों में शानदार जीत दर्ज की, जहां कांग्रेस को जीत की पूरी उम्मीद थी। पार्टी ने इसके बाद तीनों राज्यों में नए नेतृत्व को आगे किया। इन राज्यों में मिली हार और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब कांग्रेस ने कई राज्यों के नेतृत्व में बड़े फेरबदल किए हैं। आलाकमान को उम्मीद है कि युवा ब्रिगेड को कमान देने से लोकसभा चुनाव में पार्टी की डूबती हुई नैया पार लगेगी।