मुस्लिम समुदाय में एक बार में तीन तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला विधेयक राज्यसभा में अटक गया है। इस सम्बन्ध में लाया गया तीन तलाक अध्यादेश अब इस महीने निष्प्रभावी हो जाएगा।
आम चुनाव से पहले अब सबकी नजरें मोदी सरकार पर हैं।
सूत्रों का कहना है कि अध्यादेश फिर से लागू किया जा सकता है लेकिन इसके समय को लेकर अभी निर्णय नहीं हुआ है।
ज्ञात रहे कि एक अध्यादेश की अवधि 6 महीने की होती है लेकिन कोई सत्र शुरू होने पर इसे विधेयक के तौर पर संसद से 42 दिन (छह सप्ताह) के भीतर पारित कराना होता है, वरना यह अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है। अगर विधेयक संसद में पारित नहीं हो पाता है तो सरकार अध्यादेश फिर से ला सकती है।
सूत्रों ने कहा कि अध्यादेश पिछले साल 11 दिसंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के 42वें दिन यानी 22 जनवरी को निष्प्रभावी हो जाएगा। सरकार सत्र में इस विधेयक को बजट सत्र में पारित कराने की कोशिश करेगी लेकिन इस बारे में फैसला अभी नहीं हुआ है कि अध्यादेश निष्प्रभावी होने के बाद इसे फिर से लागू किया जाएगा या नहीं।
अधिकारी ने कहा दूसरा विकल्प यह होगा कि मध्य फरवरी में बजट सत्र के समापन तक का इंतजार किया जाए।
अगर विधेयक पारित नहीं होता है तब यह अध्यादेश फिर से लागू किया जा सकता है।’ गौरतलब है कि मुस्लिमों में तीन तलाक की परंपरा को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला नया विधेयक 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था। नए विधेयक का उद्देश्य सितंबर में लागू अध्यादेश की जगह लेना था।