मौके पर पहुंचीं आयोग की टीम, 39 बुजुर्गों को छुड़ाया
वीडियो सामने आते ही राज्य महिला आयोग की सदस्य डॉ. मीनाक्षी भराला टीम के साथ वृद्धाश्रम पहुंचीं। जांच के दौरान पता चला कि वहां 39 बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था।
उन्हें सही स्वास्थ्य सेवाएं तक नहीं मिल रही थीं। तीन बुजुर्गों की हालत बेहद खराब थी और उन्हें तुरंत अस्पताल भेजा गया।
बिना पंजीकरण चल रहा था वृद्धाश्रम

जांच में ये भी सामने आया कि 1994 से चल रहा यह वृद्धाश्रम बिना पंजीकरण के अवैध रूप से संचालित हो रहा था। न तो वहां स्टाफ के पास ज़रूरी कागजात थे और न ही बुजुर्गों के लिए बेहतर सुविधा। पंजीकरण के नाम पर 2.5 लाख रुपये और हर महीने 10-12 हजार रुपये फीस ली जाती थी।
बुजुर्गों को दी जाती थीं नशीली दवाएं, हाथ बांधकर रखते थे

सबसे चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि मानसिक रूप से कमजोर बुजुर्गों को नशीली दवाएं देकर घंटों तक हाथ बांधकर रखा जाता था। उनके पहनने-ओढ़ने के कपड़े तक ठीक नहीं थे, बिस्तरों पर चादर तक नहीं बिछाई जाती थी।
जल्द सील होगा वृद्धाश्रम
डॉ. मीनाक्षी भराला ने बताया कि इतनी बड़ी लापरवाही और अमानवीयता किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वृद्धाश्रम को जल्द सील किया जाएगा और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई होगी।
कहा — बुजुर्गों का अपमान, समाज के नाम पर कलंक
आयोग की सदस्य ने इसे समाज के लिए शर्मनाक और अपमानजनक घटना बताते हुए कहा —
“बुजुर्ग हमारे सम्मान और संस्कार की पहचान हैं। उनके साथ ऐसा बर्ताव निंदनीय है। ऐसे संस्थानों पर सख्ती ज़रूरी है।”