भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को 12 मई 2024 को उस समय एक तकनीकी झटका लगा जब उसका PSLV-C61 मिशन पूरी तरह सफल नहीं हो सका। इस मिशन के जरिए EOS-09 नामक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह को सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया जाना था, लेकिन एक तकनीकी खामी के कारण उपग्रह अपनी तय कक्षा में नहीं पहुंच पाया।
मिशन में क्या गड़बड़ी हुई?
PSLV-C61 रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। लॉन्च के पहले और दूसरे चरण सामान्य रूप से पूरे हुए, लेकिन तीसरे चरण में जब ठोस ईंधन से चलने वाला मोटर सक्रिय हुआ, तो उसमें दबाव (pressure) गिरने लगा। ISRO प्रमुख वी. नारायणन के अनुसार, इसी वजह से सैटेलाइट को वह ऊर्जा नहीं मिल पाई, जिससे वह अपनी निर्धारित कक्षा तक पहुंच सके।
EOS-09 सैटेलाइट क्यों था खास?
EOS-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन सैटेलाइट है, जिसका उद्देश्य कृषि, वन क्षेत्र की निगरानी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में रियल टाइम जानकारी देना था। इसका वजन लगभग 1,696 किलोग्राम था और इसे EOS-04 सैटेलाइट के जैसी क्षमताओं के साथ डिजाइन किया गया था। इसकी मिशन अवधि पांच साल रखी गई थी।
सैटेलाइट को अंतरिक्ष में उसके जीवनकाल के बाद सुरक्षित रूप से कक्षा से हटाने के लिए अतिरिक्त ईंधन भी रखा गया था, जिससे यह एक ‘मलबा-मुक्त’ मिशन बन सके।
PSLV रॉकेट के चरण कैसे काम करते हैं?
PSLV एक चार-चरणीय रॉकेट होता है:
- पहला और तीसरा चरण: ठोस ईंधन से चलते हैं
- दूसरा और चौथा चरण: तरल ईंधन से संचालित होते हैं
तीसरा चरण सैटेलाइट को ऊपरी वायुमंडल से बाहर, कक्षा की ओर धकेलने में अहम भूमिका निभाता है। इसी चरण में दबाव की समस्या आने के कारण उपग्रह अपनी सही कक्षा तक नहीं पहुंच सका।
क्या PSLV अब भरोसेमंद नहीं है?
ऐसा नहीं है। PSLV रॉकेट ISRO का सबसे भरोसेमंद लॉन्च वाहन रहा है। इसके जरिए अब तक 60 से ज्यादा सफल प्रक्षेपण हो चुके हैं, जिनमें कई विदेशी उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में स्थापित किया गया है।
हालांकि इस मिशन की असफलता चिंता का विषय है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि एक-दो मिशन में आई तकनीकी दिक्कतों से PSLV की विश्वसनीयता पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए।
पहले भी हुई हैं गड़बड़ियां
- 1993: पहले PSLV मिशन में सॉफ्टवेयर की गलती और चरणों के अलग होने में दिक्कत आई थी।
- 2017: एक लॉन्च के दौरान सैटेलाइट का हीट शील्ड नहीं खुला, जिससे वह रॉकेट के भीतर ही फंसा रह गया था।
ISRO आगे क्या करेगा?
ISRO ने घोषणा की है कि इस मिशन की असफलता की जांच के लिए एक Failure Analysis Committee बनाई जाएगी। यह समिति उड़ान के दौरान मिले आंकड़ों की जांच करेगी और बताएगी कि गड़बड़ी क्यों हुई। रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए सुधार किए जाएंगे।
निष्कर्ष
PSLV-C61 मिशन की असफलता एक तकनीकी चुनौती जरूर है, लेकिन यह ISRO की विश्वसनीयता को कम नहीं करती। ISRO ने हमेशा सीमित संसाधनों के बावजूद अंतरिक्ष विज्ञान में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। यह घटना वैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिससे संगठन को सीखने और आगे और बेहतर मिशन तैयार करने का मौका मिलेगा।