जिनके नाम है 64 किताबों की बानगी, वह रशीद अंजुम कर गए दुनिया से कूच
भोपाल। राजधानी की अदबी दुनिया में अपना खास नाम रखने वाले रशीद अंजुम का शुक्रवार को इंतकाल हो गया। अंजुम की खासियतों में शुमार सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने अपने लेखन काल में कुल 64 किताबें लिखी हैं।
रशीद अंजुम के मिलनसारों में शामिल शायर और साहित्यकार बद्र वास्ती बताते हैं कि अब तक रशीद अंजुम की 64 किताबें शाया हो चुकी हैं। विषयों की बात करें तो नावेल, नाटक, कहानी, नज़्म, ग़ज़ल, आलोचना, समीक्षा, मोनोग्राफ़, अनुवाद, ऐतिहासिक लेख, फिल्मों से जुड़ी जानकारी, फिल्म स्क्रिप्ट, पत्रकारिता और क्या क्या नहीं लिखा। नाटक लिखने के साथ उनका निर्देशन और मंचन भी किया। संगरेज़ हवाएं नाम से दुनिया का सबसे तवील तारीख़ी नाटक लिखा। नाटक और भी
कई लिखे हैं। फिल्म की कहानी लिखी और भोपाल की पहली मुकम्मल वीडियो फिल्म प्रोड्यूस की।मुंबई की फ़िल्मी दुनिया से भी वाबस्ता हे, बस एक सूफ़ी की तरह अपने क़लमी सफ़र पर बिना थके, बिना रूके चले जा रहे हैं।
रशीद अंजुम अपने क़लम के वास्ते नये नये और अछूते विषय तलाश कर लेते हैं। हम सबको चौंकाते भी हैं। “जहाने फिल्म” नाम से ए 4 साइज़ के 1600 पन्नों पर विश्व और भारतीय सिनेमा का इतिहास दर्ज किया,तो “अदब से फिल्म तक” जैसे नायाब विषय को खंगाल डाला। आज यह किताब सत्य जीत राय फिल्म इंसटीटयूट के सिलेबस में शामिल है ।”जहाने फिल्म की मुस्लिम अदाकाराएं” भी किसी रिसर्च वर्क से कम नहीं, कहने का मतलब यह कि जिस तरफ़ औरों का ध्यान नहीं जाता रशीद अंजुम उस तरफ़ भी देख लेते हैं।
हाल ही में आवाज़ की दुनिया के जादूगर अमीन सायानी साहब हमसे जुदा हुए, उन पर दुनिया में कहीं कोई किताब नहीं लिखी गई। लेकिन अपने भोपाल को यह फखर् हासिल है कि भोपाल निवासी जनाब रशीद अंजुम साहब ने उनकी शख्सियत और काम पर भी किताब लिखी,जिसका नाम है “आवाज़ की दुनिया का दोस्त” जो शायद अमीन सायानी पर पहली और आखिरी किताब हो सकती है। जिसका फोटो आप देख रहे हैं। इस तरह हम अमीन सायानी साहब को ख़िराजे अक़ीदत पेश कर रहे हैं और रशीद अंजुम साहब की ख़िदमात का एतराफ़ और उनको सलाम कर रहे हैं।
हम दुआ करते हैं कि जनाब रशीद अंजुम साहब का क़लम यूं ही चलता रहे। और वह किताबों और ज़िंदगी की सैन्चुरी बेहतरीन सेहत और अपनी दिल नवाज़ मुस्कुराहट के साथ मुकम्मल करें। कहने को बहुत कुछ है। लेकिन फिल्हाल इतना ही…..
कोई भी कर ना सका उसके क़द का अंदाज़ा
वह आस्मां है मगर सर झुकाये फिरता है।