नई दिल्ली – रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि कृषि कर्जमाफी का क्रेडिट कल्चर और कर्जदार के व्यवहार पर बहुत बुरा असर पड़ता है। हाल ही में तीन राज्यों में नवनिर्वाचित सरकारों ने चुनाव पूर्व वादे के मुताबिक कृषि कर्जमाफी की घोषणा की है ऐसे में शशिकांत का यह बयान महत्वपूर्ण है।
मीडिया द्वारा किसानों के लिए राज्य सरकारों द्वारा कर्जमाफी को लेकर पूछे गए सवाल पर दास ने कहा कि यह राज्य सरकारों की वित्तीय स्थिति से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘निर्वाचित सरकारों के पास वित्तीय फैसले लेने का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन हर सरकार को कर्जमाफी पर फैसले से पहले सावधानीपूर्वक अपनी वित्तीय स्थिति की जांच करनी चाहिए।
गवर्नर ने कहा, ‘राज्य सरकार को यह भी देखना चाहिए क्या उनके खजाने में इसके लिए गुंजाइश है और क्या वे बैंकों को तत्काल कर्ज का पैसा चुका सकती है।
सामान्य लोन माफी से क्रेडिट कल्चर पर असर पड़ता है। साथ ही इससे कर्ज लेने वालों के भविष्य के व्यवहार पर भी असर पड़ता है।’ मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में 1.47 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण बकाया है। हाल में इन राज्यों ने कृषि ऋण माफ करने की घोषणा की है। 2017 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पंजाब ने किसानों के बकाया कर्ज को माफ करने की घोषणा की थी। इससे पहले इसी साल कर्नाटक की गठबंधन सरकार ने भी किसानों का कर्ज माफ किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या 2000 के नोट को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है उन्होंने कहा कि आर्थिक मामलों के विभाग ने पहले ही इस पर स्थिति साफ कर दी है और अब इसमें और जोड़ने के लिए नहीं है।
अंतरिम लाभांश पर दास ने कहा, ‘रिजर्व बैंक इस पर जब भी कोई निर्णय लेगा उसकी जानकारी दी जाएगी।
सरकार ने रिजर्व बैंक से पूर्व की तरह अंतरिम लाभांश देने का आग्रह किया है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने सरकार को 10,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दिया था। दास ने कहा, ‘सरकार और रिजर्व बैंक के बीच काफी पत्राचार होता है। विचार विमर्श होता है। कोई एक पत्र विशेष लिखा गया है या नहीं यह कोई वास्तविक मायने नहीं रखता।
अंतरिम लाभांश पर जब भी केंद्रीय बैंक कोई फैसला करेगा तो उसकी तुरंत घोषणा की जाएगी।’ यह पूछे जाने पर कि क्या बैंकों को गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या के हल के लिए कोई लक्ष्य दिया गया है, दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने ऐसा कोई लक्ष्य नहीं दिया है।