CDR, गवाहों और चार्जशीट से हुआ खुलासा, 23 आरोपी कटघरे में
संभल में 24 नवंबर 2024 को हुए हिंसा के मामले में एसआईटी की जांच के बाद चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर जो बवाल हुआ था, वो अचानक नहीं भड़का, बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी रणनीति थी — जिसकी कमान खुद सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली एडवोकेट के हाथ में थी।
CDR ने खोला राज: रिज़वान ने जुटाई भीड़, सांसद के निर्देश पर
जांच में पता चला है कि सांसद के निजी सहायक अब्दुल रहमान के पिता रिज़वान ने भीड़ इकट्ठा करने में अहम भूमिका निभाई थी। रिज़वान, जो खुद जामा मस्जिद में इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम करता है, ने सांसद के कहने पर सरायतरीन और आसपास के क्षेत्रों से लोगों को फोन कर बुलाया था ताकि मस्जिद में होने वाले सर्वे को रोका जा सके। पुलिस की चार्जशीट में रिज़वान की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को सबूत के तौर पर पेश किया गया है।

साजिश की पटकथा: देर रात से ही रची गई योजना
चार्जशीट में कहा गया है कि 23 नवंबर की देर रात, मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली को जब सर्वे की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना सांसद को दी। सांसद ने कहा कि सर्वे किसी कीमत पर नहीं होने देना है और भीड़ इकट्ठा की जाए। इसके बाद सांसद और रिज़वान के बीच कई बार फोन पर बातचीत हुई, जिसमें सर्वे को रोकने की पूरी रणनीति तैयार की गई।
1100 पन्नों की चार्जशीट और 14 गवाह
एसआईटी द्वारा दाखिल 1100 पन्नों की चार्जशीट में 14 चश्मदीद गवाहों के बयान शामिल हैं — जिनमें पुलिसकर्मी और अधिवक्ता भी हैं। इन सभी ने बवाल के दौरान की घटनाएं प्रत्यक्ष रूप से देखी थीं, जो अब अदालत में अहम साक्ष्य साबित हो सकते हैं।
कौन-कौन हैं आरोपी?
चार्जशीट में कुल 23 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें प्रमुख नाम हैं:
सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क
जामा मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली
रिज़वान
अब्दुल रहमानआसिफ, दानिश, मुजम्मिल, सुभान, जमशेद, रफीक, हाजी राशिद, लड्डन, मुमताज, इतरत, मताहिर, मोहसिन, आरिश, गिलमान, जाहिद, अल्तमश, मुजम्मिल खान आदि।इनमें से कुछ गिरफ्तार किए गए हैं और कुछ को IPC की धारा 35(3) के तहत नोटिस भेजा गया है।
मस्जिद कमेटी के छह पदाधिकारी भी आरोपी
जामा मस्जिद कमेटी के सदर ज़फर अली के अलावा पांच अन्य पदाधिकारी भी आरोपी बनाए गए हैं। हालांकि, अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन सभी को कानूनी नोटिस थमा दिया गया है।
सुहेल इकबाल को मिली क्लीन चिट
इस मामले में सपा विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल पर भीड़ को भड़काने का आरोप था, लेकिन जांच में उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला। मौके पर उनकी मौजूदगी जरूर पाई गई, लेकिन वह किसी साजिश का हिस्सा नहीं थे। इस कारण एसआईटी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी।
सांसद का बयान बना बड़ी मुसीबत
22 नवंबर को सांसद बर्क ने जामा मस्जिद के बाहर खड़े होकर एक विवादास्पद बयान दिया था — “यह मस्जिद थी और मस्जिद ही रहेगी, सर्वे गलत है।” पुलिस का कहना है कि इसी बयान ने माहौल को और भड़का दिया और हिंसा की नींव यहीं रखी गई। चार्जशीट में इस बयान का विशेष उल्लेख किया गया है और इसे हिंसा का मुख्य कारण माना गया है।
संभल की घटना अब सिर्फ एक स्थानीय झड़प नहीं, बल्कि सुनियोजित साजिश के रूप में सामने आ रही है। सांसद, मस्जिद कमेटी और उनके सहयोगियों पर लगे आरोप और साक्ष्य आने वाले दिनों में न केवल इस केस को बल्कि राजनीति और साम्प्रदायिकता के समीकरणों को भी हिला सकते हैं। अदालत में अब इस पर न्याय की नजर टिकी है।