सीएम सुक्खू पहुंचे शिपकी-ला, ‘सरहद वन उद्यान’ की रखी नींव
हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इस ऐतिहासिक मौके पर शिपकी-ला पहुंचकर ‘बॉर्डर टूरिज्म’ की शुरुआत की और ‘सरहद वन उद्यान’ की आधारशिला रखी। उन्होंने वहां तैनात सेना और ITBP के जवानों से मुलाकात की और उन्हें सम्मान भी दिया।
इतिहास बना – 77 साल में पहली बार आम लोगों के लिए दरवाजा खुला

भारत की आजादी के बाद से पहली बार आम जनता को इस दर्रे पर जाने की अनुमति दी गई है। इससे पहले यहां केवल व्यापारिक गतिविधियां होती थीं और आम लोग यहां नहीं जा सकते थे।
1968 के बाद अब कोई मुख्यमंत्री पहुंचा यहां
मुख्यमंत्री सुक्खू इस क्षेत्र में जाने वाले दूसरे मुख्यमंत्री बने हैं। इससे पहले 1968 में इंदिरा गांधी राज्य के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार के साथ यहां पहुंची थीं।
बॉर्डर टूरिज्म से सैलानियों को मिलेगा अनोखा अनुभव
अब पर्यटक किन्नौर और लाहौल-स्पीति के उन इलाकों में जा सकेंगे, जो चीन के बेहद नजदीक हैं। शिपकी-ला के साथ-साथ ग्यू मठ, रानी कंडा, छितकुल, सांगला, खाना दुमटी और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचने का भी रास्ता खुल गया है।
कैसे और कौन जा सकता है शिपकी-ला?

- शिमला से किन्नौर और फिर खाब नामक स्थान से लिंक रोड के जरिए पहुंचा जा सकता है।
- यहां जाने के लिए आधार कार्ड या टोकन दिखाना होगा।
- रात में रुकने की अनुमति नहीं है।
- फिलहाल कोई एंट्री फीस नहीं है, लेकिन ITBP पोस्ट से परमिशन लेना जरूरी है।
- यहां से मानसरोवर यात्रा का रूट भी जाता है, लेकिन चीन की अनुमति के बिना वहां नहीं जा सकते क्योंकि तिब्बत पर चीन का कब्जा है।
चार साल पहले बंद हुआ था व्यापार

कोविड के दौरान 2020 में इस इलाके से तिब्बत के साथ सदियों पुराना व्यापार बंद कर दिया गया था। यह रास्ता व्यापार के लिए बहुत पुराना और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है।